सजायाफ्ता कैदी बना योग गुरु, दूसरों को सिखा रहा योग

लखनऊ :  हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पा चुके कैदी कृष्णानंद द्विवेदी ने अपना पश्चाताप नये तरीके से किया। वह अवसाद में रहे तो योग करना शुरू किया। फायदा पहुंचा तो अब दूसरे कैदियों को योग सिखाना शुरू कर दिया। दूसरे कैदियों ने भी योग सीख कर तनाव दूर करना शुरू कर दिया। अब जेल के अधिकतर कैदियों की दिनचर्या में योग शामिल है और कृष्णानंद अब योग गुरू के नाम से जेल में चर्चा का केन्द्र हैं। यही नहीं 21 जून को विश्व योग दिवस पर कृष्णानंद के नेतृत्व में जेल के अंदर 3000 बंदी योग कर रहे हैं। वर्ष 2014 से लखनऊ की जिला जेल में बंद उन्नाव के कृष्णानंद पर हत्या समेत आधा दर्जन मामले दर्ज हैं। कृष्णानंद को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। वह 13 साल सात महीने की सजा काट चुके हैं। कृष्णानंद बताते हैं कि कारावास ने उनके जीवन में अंधेरा कर दिया था। कुछ दिन बीतने के बाद जेल के माहौल का कृष्णानंद की सेहत पर शारीरिक और मानसिक दोनों तौर पर असर हुआ। वह अवसाद में चले गए। कृष्णानंद ने इस दौरान नियमित बैरक में योग शुरू किया। कृष्णानंद का कहना है कि योग के जरिये उन्हें दूसरों की मदद करने और खुद को सुधारने का मौका मिला।
जिला जेल के वरिष्ठ अधीक्षक प्रेमनाथ पाण्डेय बताते हैं कि जेल में नियमित योग का मकसद कैदियों के तन मन को शांत रखना है। योग की वजह से जेल के बहुत से नशेड़ी प्रवृत्ति के कैदियों में सुधार हुआ है। गांजा, चरस, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट समेत दूसरे नशे के लती कैदियों को योग और काउंसलिंग की मदद से लत छुड़वाने का प्रयास किया जा रहा है।
(साभार -हिन्दुस्तान)

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