भारतीय भाषा परिषद में पुनर्मिलन काव्य संध्या
कोलकाता : कोरोना काल के लगभग पौने 2 दो साल बाद भारतीय भाषा परिषद ने अपने सभागार में ऑफ लाइन कार्यक्रम ‘पुनर्मिलन’ और ‘काव्य संध्या’ के रूप में आयोजित किया। सभा के आरंभ में कोलकाता के वरिष्ठ लेखक श्रीनिवास शर्मा के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की गई। इसके बाद डॉ. कुसुम खेमानी के रचना संसार पर निर्मित एक वीडियो लॉन्च किया गया। मंत्री डॉ. केयूर मजमुदार ने जानकारी दी कि डॉ. कुसुम खेमानी की रचनाओं को जल्द ही ऑडियो-वीडियो फॉर्मेट में उपलब्ध कराया जाएगा। कार्यक्रम का उद्बोधन वक्तव्य देते हुए परिषद अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी ने कहा कि हम आज परिषद के सभागार में लंबे समय बाद मिल रहे हैं। आशा है, लेखक, साहित्य-प्रेमी पाठक और विद्यार्थी परिषद का पूरा लाभ उठाएंगे और साहित्य का यह आंगन पहले की तरह जगमग करेगा। उन्होंने कहा कि इस बीच परिषद पुस्तकालय वातानुकूलित और नई सुविधाओं से युक्त हुआ है। परिषद जल्दी ही नीचे बुक कैफे खोलने जा रही है जहां विभिन्न प्रकाशनों की किताबें उपलब्ध होंगी। हमारी नई कार्यकारिणी इसके लिए बधाई के पात्र है। प्रो. संजय जायसवाल ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि परिषद अब अपने आधुनिक स्वरूप के साथ एक नए युग में प्रवेश कर रहा है। हम मानते हैं कि समाज में मानवता की भावनाओं को मजबूत करने में साहित्य की बड़ी भूमिका है और नई पीढ़ी में साहित्य और हिंदी से प्रेम पैदा करना होगा। काव्य संध्या में दिल्ली से आए वरिष्ठ गज़लकार विनोद शलभ उपस्थित थे। इनके अलावा प्रियंकर पालीवाल, आशुतोष, सेराज खान बातिश, मंजू श्रीवास्ताव, अभिज्ञात, शुभ्रा उपाध्याय, राज्यवर्द्धन, सुशील कान्ति, आनंद गुप्ता, रचना सरण, पूनम सोनछात्रा, मनीषा गुप्ता, मधु सिंह, सूर्यदेव राय और राजेश सिंह ने अपनी कविताओं का पाठ किया और श्रोताओं को काव्यमय कर दिया।
काव्य संध्या की अध्यक्षता कर रहे परिषद के निदेशक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि कवि समाज की सांस्कृतिक आंख होते हैं और जो समाज कवियों और साहित्यकारों की उपेक्षा करता है, उसे अंधा होने में देर नहीं लगती। कवि कृत्रिम तौर पर जो दिखाया और प्रचारित किया जाता है, उससे भिन्न वास्तविक सत्य की अभिव्यक्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि सजग कवियों ने समाज में भेदभाव और विद्वेष का हमेशा विरोध किया है और धर्म-जाति से ऊपर उठकर मानवता का गान किया है।परिषद के मंत्री केयुर मजमूदार ने धन्यवाद देते हुए कहा कि परिषद सभागार में पुनर्मिलन और काव्य संध्या में जो उत्साह देखने को मिला है, वह एक यादगार बन कर रहेगा।