कोलकाता । चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को 30 सितंबर तक विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारी पूरी करने का निर्देश दिया है। यह प्रक्रिया अक्तूबर-नवंबर से शुरू हो सकती है। आयोग का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची से विदेशी घुसपैठियों को हटाना और पारदर्शिता बढ़ाना है। सूत्रों के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में हुई मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की बैठक में आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने 10 से 15 दिन में एसआईआर लागू करने के लिए तैयार रहने को कहा था। हालांकि अब स्पष्ट डेडलाइन तय करते हुए 30 सितंबर को अंतिम तारीख घोषित किया गया है। सभी राज्यों को पिछली एसआईआर के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियां तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने विधानसभा चुनाव 2026 से पहले राज्य के सभी मतदान केंद्रों का विस्तृत डाटाबेस तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसका मकसद मतदाताओं को उनके निर्धारित मतदान केंद्र की पूरी जानकारी पहले से उपलब्ध कराना है। सीईओ कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, कई पुराने मतदाताओं के बूथ इस बार बदले जा सकते हैं। इसकी वजह यह है कि आगामी चुनावों में मतदान केंद्रों की संख्या में करीब 17 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। 2021 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनावों की तुलना में 2026 में कुल बूथों की संख्या बढ़कर 94 हजार से अधिक हो जाएगी। निर्वाचन आयोग के निर्देश के तहत अब किसी भी बूथ पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। इसी कारण अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, तैयार किए जा रहे डाटाबेस में प्रत्येक बूथ की लोकेशन, ढांचा और उपलब्ध सुविधाओं का ब्यौरा दर्ज किया जाएगा। इसमें रैंप, शौचालय, पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ प्रवेश और निकास द्वारों की जानकारी भी होगी। इसके अलावा, मतदाता के घर से मतदान केंद्र की दूरी का विवरण भी उपलब्ध कराया जाएगा। सीईओ कार्यालय का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य मतदाताओं को पहले से स्पष्ट जानकारी उपलब्ध कराना है, ताकि मतदान के दिन किसी प्रकार की परेशानी न हो। जिला और प्रखंड स्तर के चुनावी प्रशासन को इस डाटाबेस तक सीधा पहुंच दी जाएगी।