भारतीय सिनेमा दुनिया के लोकप्रिय सिनेमा में से एक हैं। यह सिनेमा अलग-अलग भाषाओं में हर साल 2000 से ज्यादा फिल्में बनाता है। इनमें से कुछ फिल्मों को विदेशों में भी खूब प्यार मिलता है। भारतीय सिनेमा का इतिहास भी काफी पुराना रहा है। भारतीय सिनेमा को 100 साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन इसके कुछ तथ्यों को लेकर हमेशा से बहस होती रही है। 18 मई साल 1912 को भारत की पहली फीचर फिल्म ‘श्री पुंडालिक’ रिलीज हुई थी। आज हम आपको इस फीचर फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम भी बहुत कम लोगों ने सुना होगा।
दो हफ्ते तक चली ये फिल्म
‘श्री पुंडालिक’ भारत की फीचर फिल्म के साथ पहली मूक फिल्म थी। यह एक मराठी फिल्म थी। इस फिल्म की कुल अवधि 22 मिनट थी। फिल्म ‘श्री पुंडालिक’ की शूटिंग बॉम्बे के मंगलदास वादी में हुई थी। जहां प्रोफेशनल थियेटर ग्रुप पुंडालिक नाटक का मंचन कर रहा था। इस फिल्म का निर्देशन दादासाहेब तोरने ने किया था। फिल्म ‘श्री पुंडालिक’ को 18 मई साल 1912 में मुंबई के कोरोनेशन सिनेमैटोग्राफ में रिलीज किया था। सिनेमाघर में यह फिल्म कुल दो हफ्ते तक चली थी।
भारत की पहली फिल्म पर विवाद
फिल्म ‘श्री पुंडालिक’ को भारत की पहली फीचर फिल्म कहे जाने को लेकर विवाद भी रहा है। दरअसल, इस फिल्म को शूट करने वाले कैमरामैन एक ब्रिटिश थे, जिनका नाम जॉन था। एक ब्रिटिश कैमरामैन के हाथों शूट होने की वजह से बहुत से लोग ‘श्री पुंडालिक’ को भारत की पहली फीचर फिल्म नहीं बल्कि दादासाहेब फाल्के द्वारा निर्देशित फिल्म ‘राजा हरीशचंद्र’ को मानते हैं।
फिल्म ‘राजा हरीशचंद्र’ दादासाहेब तोरने की ‘श्री पुंडालिक’ के रिलीज होने ठीक एक साल बाद 3 मई साल 1913 को आई थी। ऐसे में सिनेमा से जुड़े कई बुद्धिजीवियों के बीच इस बात को लेकर हमेशा से बहस रही है कि भारतीय सिनेमा के जन्मदाता कौन हैं ? कुछ लोग दादासाहेब तोरने तो कुछ दादासाहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का जन्मदाता मानते हैं।