शुभजिता 7 साल पूरे कर चुकी है और अब तक आपका भरपूर स्नेह मिलता रहा है । यह स्नेह ही है जिसने हमें प्रेरित किया कि अब हम पत्रिका के प्रिंट संस्करण के बारे में विचार करें । वेबसाइट से प्रिंट संस्करण में आना एक लम्बी प्रक्रिया है मगर एक राह यह दिखी कि प्रिंट संस्करण को अगर पीडीएफ के रूप में लाया जा सके तो इस दिशा में प्रयास आरम्भ हो चुका है । शुभजिता की वेबसाइट वैसे ही चलती रहेगी, जैसे कि चलती आ रही है मगर पत्रिका का कलेवर थोड़ा अलग होगा..स्तम्भ वही होंगे, नीतियाँ भी वही होंगी..मतलब पत्रकारिता की सकारात्मक प्रवृत्ति को सहेजना और आगे बढ़ाना मगर अन्तर यह होगा कि पत्रिका में लेख और फीचर को जगह अधिक मिलेगी । आप इसे सकारात्मक फीचर पत्रिका कह सकते हैं जो कि स्त्रियों और युवाओं पर केन्द्रित होगी मगर पुरुष क्षेत्र यथावत रहेंगे और पत्रिका किसी न किसी विशेषांक पर आधारित रहेगी । अब हम इस कड़ी दो परिशिष्ट और जोड़ रहे हैं – परिचर्चा और पाठकों की पाती ।
परिचर्चा में अधिकतम 4 से 5 लोगों की प्रतिक्रियाएं किसी विषय पर ली जाएंगी । नपे – तुले मर्यादित शब्दों में निष्पक्षता के साथ अभिव्यक्त किये गये मत हमारी वेबपत्रिका का हिस्सा बनेंगे ।
पाठकों की पाती – आपके पत्रों का स्वागत है…पत्र यथासम्भव किसी सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक मुद्दों पर हों और अधिकतम 200 शब्द हों…शुभजिता में भेजी जाने वाली रचनाएं यूनिकोड में टाइप कर के ही भेजी जाएं..जिससे हमें पढ़ने और चयनित होने पर प्रकाशित करने में सुविधा हो । हमारा उद्देश्य पत्रकारिता में युवा हस्तक्षेप को दिशा देना और महिलाओं की पत्रकारिता की दुनिया एक खुला आकाश देना है ।
पत्रिका मूल रूप से पाक्षिक रखने का विचार है..यह आरम्भ है और इस यात्रा में बहुत से मोड़ आएंगे जिनकी सकारात्मकता का हमें विश्वास है । ई संस्करण अपने व्हाट्सऐप अथवा मेल पर मँगाया जा सकता है जिसके लिए सदस्यता शुल्क 40 (प्रति अंक 20 रुपये ) रुपये प्रतिमाह होगा…प्रिंट संस्करण के लिए सहयोग राशि अंक के आधार पर तय होगी ।
किसी भी विषय में शोध कर रहे शोधार्थियों के लेख आमंत्रित हैं । अगला अंक मुंशी प्रेमचन्द जयंती पर केन्द्रित होगा । वाणी प्रवाह के लिए कविताएं, चित्र, वीडियो आमंत्रित हैं ।
अपने पत्र एवं रचनाएं भेजें