मेरे पति ने जिस दिन देश के लिए प्राणों की न्यौछावर किया था, उस दिन मेरी आंखों से आंसू जरूर बहे थे, लेकिन वह फक्र के आंसू थे। दु:ख के साथ ही मुझे इस बात की खुशी थी कि मेरे पति की मौत पर पूरा देश फक्र महसूस कर रहा है। यह कहते हुए वयोवृद्ध रसूलन बीबी की लड़खड़ाती आवाज कुछ देर के लिए बंद हो गई और गला रूंध गया।
उन्होंने इशारों ही इशारों में बहुत कुछ कहा। हर साल दस सितंबर को वीर अब्दुल हमीद का शहादत दिवस धामूपुर स्थित शहीद पार्क में मनाया जाता है। अब्दुल हमीद के पौत्र जमील आलम ने बताया कि 26 जनवरी 1966 को जब राष्ट्रपति राधा कृष्णनन ने भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से जब मेरे बाबा अब्दुल हमीद को नवाजा तो गर्व से मेरे परिवार का सिर ऊंचा हो गया।
कहा कि मेरे पति वीर अब्दुल हमीद की शहादत दिवस तो हर वर्ष मनाई जाती है, लेकिन इस बार के कार्यक्रम में आने वाले मुख्य अतिथियों को दिल से आभार व्यक्त किया। अंतत: इशारों में खुशी बयां करते हुए रसूलन बीबी की आंखें सजल हो गई।