कोलकाता । भगतसिंह मैमोरियल कमेटी ने शहीद ए आज़म भगत सिंह को उनके शहादत दिवस गत 23 मार्च पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। हावड़ा के काजीपाड़ा मोड़ पर स्थित भगतसिंह की मूर्ति पर सुबह कमेटी के सदस्यों ने फूल माला चढ़ा कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। संध्या समय विभिन्न स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत कविता गीत सुनाए। युवा छात्र छात्राओं ने शिबपुर ट्राम डिपो हावड़ा से भगतसिंह के लिए ड्रम की धुन बजाते हुए एक रैली भी निकाली जो काजीपाड़ा मोड़ स्थित भगतसिंह की मूर्ति परिसर पर समाप्त हुई। सभी युवा वर्ग ने गॉर्ड अॉफ ओनर से मूर्ति के सामने सलामी दी। इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद किया गया।
विशिष्ट वक्ता भवानीपुर कॉलेज की हिंदी अध्यापिका डॉ वसुंधरा मिश्र ने अपने वक्तव्य में भगतसिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगतसिंह आज भी जिंदा है, आज 93वीं पुण्यतिथि पर भगतसिंह को स्मरण करना हमारे युवा पीढ़ी के लिए और सभी देशवासियों के लिए प्रेरणादायी है। मात्र 23 वर्ष का युवक धर्म, जाति और भाषा से परे अपने देश के लिए एक विचार और एक सोच बन गया है जो देशभक्ति के लिए प्रेरणादायी है।
भगतसिंह मैमोरियल कमेटी के सचिव सौमित्र सेनगुप्ता ने बच्चों द्वारा तैयार की गई भगतसिंह बुलेटिन का लोकार्पण किया और कहा कि इससे बच्चों की सृजनात्मक कार्य में बढ़ोतरी होगी। अनीसूल करीम ने भगतसिंह के फांसी की सजा से संबंधित बातें बताई साथ ही जेल में उनपर हुए अंग्रेजी शासन द्वारा होने वाली अमानवीयता के विषय में बताया। वहीं शिक्षक जसवीर सिंह ने बताया कि जब भगतसिंह 14 वर्ष के थे और जलियांवाला बाग में होनेवाले नरसंहार को देखकर उनमें भारी बदलाव बदलाव आया और देश के प्रति अपने प्राणों तक की परवाह नहीं की।
पूटन माला, माधुरी झा और उनकी टीम ने इस कार्यक्रम का संयोजन किया ।