मौसम के परिवर्तन के साथ वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। वसंत पंचमी के दिन मौसम नई करवट लेता है और चारों और पीली बहार छाई रहती है। इसलिए इस दिन पीले वस्त्रों, पीले व्यंजनों और पीले फूलों का विशेष महत्व होता है। खेतों में सरसों की बहार रहती है और आम पर बौर आने लग जाते है। प्रकृति की मोहक छटा चारों और छाई रहती है ऐसे समय वसंत पंचमी का त्यौहार आता है और लोग इसको ज्ञान की प्राप्ति के पर्व के रूप में मनाते हैं।
वसंत पंचमी के अवसर पर देवी सरस्वती की आराधना का विशेष विधान है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। सनातन संस्कृति के धर्मशास्त्रों में कुछ विशेष स्तुतियां और श्लोक देवी सरस्वती की आराधना के हैं। जिनका स्मरण और वाचन करने से मां शारदा की कृपा प्राप्त होती है। कुछ शास्त्रोक्त श्लोक इस प्रकार हैं।
ऋग्वेद में देवी सरस्वती के संबंध में कहा गया है –
प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।
मां सरस्वती का मंत्र
मां सरस्वती की उपासना करते समय इस श्लोक का उच्चारण करना चाहिए
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च