आम जिंदगी का हिस्सा बन चुके प्लास्टिक को रिसाइकिल करना बहुत बड़ी चुनौती है। हालांकि, अब वैज्ञानिकों ने एक रासायनिक क्रिया की पहचान की है, जिसकी मदद से प्लास्टिक को इस्तेमाल के बाद उसके मूल स्वरूप यानी मोनोमर में लौटाना मुमकिन होगा। ‘नेचर जर्नल’ में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रचलित ‘हाई डेंसिटी पॉलीइथाइलीन (एचडीपीई)’ पॉलीइथाइलीन नाम की पॉलीमर श्रृंखला से बना होता है। एचडीपीई को पिघलाकर दोबारा इस्तेमाल के लायक जरूर बनाया जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया में कई अवांछित तत्व भी अस्तित्व में आते हैं। हालांकि, रासायनिक क्रिया से रिसाक्लिंग के दौरान ऐसा नहीं होता। इस प्रक्रिया में एचडीपीई को बार-बार मोनोमर में तब्दील किया जा सकता है। हर मोनोमर से बेहतरीन गुणवत्ता का प्लास्टिक तैयार करना भी संभव है। शोध दल में शामिल मैनुअल हॉबलर ने बताया कि नई तकनीक से प्लास्टिक के निर्माण में इस्तेमाल 96 फीसदी मोनोमर को दोबारा हासिल किया जा सकता है। इस मोनोमर को डाइइथाइल-कार्बोनेट की मदद से पॉलीमर में बदला जाता है। पॉलीमर को 3-डी प्रिंटर या पारंपरिक मोल्डिंग तकनीक के जरिये मनचाहे आकार में ढालना मुमकिन है। हॉबलर ने दावा किया कि नई तकनीक प्लास्टिक से तैयार हर वस्तु के पुन:प्रसंस्करण में सक्षम है। इससे दुनियाभर में बढ़ते प्लास्टिक कचरे पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। हालांकि, रिसाइकिल किए गए प्लास्टिक की कीमत मूल उत्पाद से थोड़ी अधिक हो सकती है।