विश्व बैंक रिपोर्ट: भारत का जीएसटी दुनिया में सबसे जटिल कर प्रणाली

नयी दिल्ली : विश्व बैंक का कहना है कि भारत की वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली दुनिया की सबसे जटिल कर प्रणालियों में से एक है। इसमें न केवल सबसे उच्च कर दर शामिल है बल्कि इस प्रणाली में सबसे अधिक कर के स्लैब भी हैं। वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि भारत उच्च मानक जीएसटी दर मामले में एशिया में पहले और चिली के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर है।

वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “भारतीय जीएसटी प्रणाली में कर की दर दुनिया में सबसे अधिक है। भारत में उच्चतम जीएसटी दर 28 प्रतिशत है। यह 115 देशों में दूसरी सबसे ऊंची दर है, जहां जीएसटी (वैट) प्रणाली लागू है।” भारतीय जीएसटी प्रणाली को जो चीज और जटिल बनाती है वह विभिन्न श्रेणियों की वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होने वाली अलग-अलग जीएसटी दरों की संख्या है।

पाकिस्तान और घाना की श्रेणी में भारत
विश्व बैंक ने बुधवार को इंडिया डेवलपमेंट अपडेट की छमाही रिपोर्ट जारी की थी। इसमें विश्व बैंक ने भारत में लागू जीएसटी को पाकिस्तान और घाना की श्रेणी में रखा है। रिपोर्ट के अनुसार 115 देशों में भारत में टैक्स रेट दूसरा सबसे ऊंचा है। रिपोर्ट में शामिल देशों में भारत की तरह ही अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू है। दुनिया के 49 देशों में जीएसटी के तहत एक और 28 देशों में दो स्लैब हैं। भारत समेत पांच देशों में इसके अंतर्गत पांच स्लैब बनाए गए हैं। भारत के अलावा इनमें इटली, लक्जम्बर्ग, पाकिस्तान और घाना जैसे देश शामिल हैं। भारत को छोड़कर चारों देशों की अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है।

टैक्स रेट कम करने की सलाह
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में टैक्स रेट कम करने के साथ ही कानूनी प्रावधानों और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की सलाह दी है। साथ ही विश्व बैंक ने टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है। इसमें इसका असर पूंजी की उपलब्धता पर पड़ने की बात कही गई है। रिपोर्ट में कर प्रणाली के प्रावधानों को अमल में लाने पर होने वाले खर्च को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। विश्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के आधार पर भविष्य में स्थिति में सुधार आने की उम्मीद जताई है।

जीएसटी में पांच स्लैब
भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2017 को अमल में लाए गए जीएसटी के ढांचे में पांच स्लैब (0, 5, 12, 18 और 28 फीसदी) बनाए गए हैं। सभी वस्तुओं और सेवाओं को इसी दायरे में रखा गया है। सरकार ने कई वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर भी रखा है और कुछ पर काफी कम टैक्स लगाए गए हैं। जैसे सोने पर तीन फीसती तो कीमती पत्थरों पर 0.25 फीसदी की दर से कर लगाया गया है। वहीं, शराब, पेट्रोलियम उत्पाद, रीयल एस्टेट पर लगने वाला स्टाम्प ड्यूटी और बिजली बिल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।

सरकार का स्लैब घटाने का वादा
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 12 और 18 फीसदी वाले स्लैब को एक करने का वादा किया है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कर अदा करने में सुधार और राजस्व में वृद्धि के बाद ही यह कदम उठाया जाएगा। पिछले साल नवंबर में जीएसटी काउंसिल की गुवाहाटी बैठक में 28 फीसदी के स्लैब को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया गया था। पहले इसके दायरे में 228 वस्तुओं एवं सेवाओं को रखा गया था, जिसे 50 तक सीमित कर दिया गया।

रिपोर्ट में कर सुधार प्रस्तावित करने के शुरूआती दिनों की समस्याओं पर भी ध्यान दिया गया लेकिन यहां कहा गया है कि जीएसटी को लागू करने की प्रक्रिया की शुरुआत समझा जाना चाहिए अंत नहीं।

उन्होंने कहा, “उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया पर सक्रियता दिखाते हुए सरकार कायार्न्वयन चुनौतियों को लेकर बहुत सतर्कता बरत रही है और जीएसटी को अधिक सरल और कुशल बनाने के लिए कदम उठा रही है।”

विश्व बैंक के अनुसार, शुरुआत बाधाओं के बावजूद जीएसटी कर संबंधी अवरोधों से लेकर व्यापार अवरोधों पर दूरगामी प्रभाव डाल रहा है जो इसे लागू करने के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक था।

 

 

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