अनुराधा अग्रवाल
कुंवारी लड़कियाँ अच्छे पति की कामना और विवाहिता अपने पति की लंबी उम्र और उनकी मंगल कामना के लिए पूजा करती हैं । गनगोर के गीत गाकर ईशर और गोरा की पूजा होती है ।
तीज वाले दिन सभी लड़कियाँ सुबह-सुबह सुन्दर कपड़े और गहने पहन कर तैयार होती है ।गनगोर की मूर्तियों को भी सुन्दर कपड़ों और गहनों से सजाया जाता है ।फिर फूल और दूब से पूजा की जाती है ।
पूजा के दौरान सब काजल , मेहंदी और रोली की सोलह –सोलह बिंदी लगाती है ।फिर पीतल के कटोरे में हल्दी की गाँठ ,कोड़ी, छल्ला और सिक्का रखा जाता है ।उससे पूजा की विधि शुरू की जाती है ।
पूजा में गाये गये गीतों में पूजारिन अपने -अपने परिवार के सदस्यों के नाम लेती हैं । जितनी इच्छा उतने गीत गा सकते हैं और अंत में एक कहानी भी सुननी पड़ती है ।
गणगौर के दो गीत
पग दे पावड़िया, ईसरदास जी चढ़िया।
लैर बाई रोवां , देवो ना आसीस जी।
पग दे पावड़िया , कानीराम चढ़िया।
लैर बाई रोवां , देवो ना आसीस जी।
गोर ईसरदास फूल गुलाब को ,
बहू गोरल ए फूलड़ांरी सेज,
गैरो फूल गुलाब को।
गोर कानीराम फूल गुलाब को ,
बहू लाडेल ए फूलड़ांरी सेज, गैरो फूल गुलाब को।