“✍️दीपा ओझा”
“सिर्फ भाषा नहीं”
हिंदी, सिर्फ भाषा नहीं
हमारी माँ है,
जिसने ज्ञान दिया , पहचान दिया
देश नहीं, समाज नहीं
पूरे विश्व में स्थान दिया।
हिंदी, सिर्फ भाषा नहीं
भाव है ,
जिसने शब्द दिए, अभिव्यक्ति दी,
भावों को महसूस कर पाने की
गहरी शक्ति दी ।
हिंदी, सिर्फ भाषा नहीं
हमारी शिक्षा है
जिसने मान दिया, सम्मान दिया
हमें जीने को
गर्व पूर्ण अभिमान दिया।
हिंदी, सिर्फ भाषा नहीं
हमारी संस्कृति है
जिसमें साहित्य है, संगीत है
विभिन्न कलाओं से सम्पन्न
हमारी रीत है ।
हिंदी, सिर्फ भाषा नहीं
भारत की दड़कन,
भारत वासियों की प्रीत है ।