लघु पत्रिका प्रकाशन पर चर्चा, मरुतृण साहित्य-पत्रिका का लोकार्पण और काव्य पाठ

एक हलफनामा मुक्तिबोध से जुड़ते हुए- “भीड़ में हूँ/ नीड़ में/ भावनाओं के ज्वार की लहरों पर में उछालता-कुदता/ रोमाणी उस्ताद के जुलुस की चकाचौंद से चौंधियाता/ देश देशांतर भागता-भटकता पहुँचता भीड़ में/ नीड़ में ।” यह कविता है ख्यातिलब्ध कवि ध्रुवदेव पाषाण का जिन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुनाया । उन्होंने आगे कहा ” मरुतृण एक साहित्य पत्रिका है यह न लघु है न बड़ी है बल्कि यह एक साहित्य पत्रिका है ।” मुख्य अतिथि के तौर पर ताजा टीवी के प्रमुख विश्वंभर नेवर जी ने कहा कि लघु पत्रिका का संपादन और प्रकाशन साहित्यकार स्वयं साथ मिलकर कर अपनी निष्ठा से आगे बढ़ा सकते हैं । यह कार्यक्रम मरुतृण और ताजा टीवी के संयुक्त तत्वावधान में ताजा टीवी कार्यालय में संपन्न हुआ । मरुतृण साहित्य-पत्रिका के नये अंक का लोकार्पण भी पाषाण जी और नेवर जी के हाथों हुआ । कार्यक्रम की शुरूआत साहित्यकारों द्वारा समवेत स्वर में सरस्वती वंदना गाकर किया गया । इस मौके पर वरिष्ठ कवि नवल और आलोक शर्मा एवं लहक के संपादक निर्भय देव्याशं ने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।

कार्यक्रम का संचालन मरुतृण के परामर्श संपादक राजेन्द्र साह तथा संपादक सत्य प्रकाश भारतीय ने संयुक्त रूप से किया। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ तथा प्रसिद्ध साहित्यकार सेराज खान बातीश जी ने किया । इस अवसर पर दिवंगत कवि कुँवर नारायण और चन्द्रकांत देवताले की आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखा गया ।”पत्रिका प्रकाशन संबंधित दीर्घकालीन आपके अनुभव और हमारे नवीन रास्ते” विषय पर एक परिचर्चा पर परिचर्चा में कुशेश्वर, पार्थ सारथी मौसम तथा श्री रणजीत भारती जी ने अपने विचार रखे । पाषाण जी ने मरुतृण को बेहद भरोसे से मरुतृण को आने वाले समय में साहित्य के नभ पर चमकने की कामना की। कार्यक्रम के आखिरी सत्र में आमन्त्रित कवि और कवयित्रियों का काव्य पाठ हुआ । डॉ. गिरिधर राय, रावेल पुष्प जी, ब्रजमोहन सिंह जी, जय कुमार रुसवा, रणविजय श्रीवास्तव, सेराज खान बातीश जी तथा युवा कवि और कवयित्रियों में शामिल रहे, अनिल उपाध्याय जी, नवीन कुमार सिंह जी, अमित कु अम्बष्ट ” आमिली “, जीवन सिंह जी , रामनाथ यादव बेखबर , ज्ञान प्रकाश पाण्डेय, सरवर दिलकश, भागीरथी कुर्मी, आरती सिंह जी , अनु नेवटिया और अनुराधा कुमारी । आमंत्रित सभी कवि और कवयित्रियों को पाषाण जी के हाथों से मरुतृण स्मृति पत्र दिया गया। श्रोताओं में मुख्य रूप से लक्ष्मी जायसवाल, वीनिता साव, खुशबू साह, रीता प्रकाश, विनीता प्रिया ’मिली’, कविता अरोङा, मिनाश्री सांगनेरिया, सुरेश चौधरी जी , सर्वेश कुमार राय , जतिब हयाल, नथमल रूँगटा, राम नारायण झा , ओम प्रकाश चौबे, संजय बिन्नाणी, राम सागर सिंह, सागर चौधरी और प्रवेश पटियालवी, इशिता और श्रेयांश आदि।

 

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