रेलवे ने बंद किया ब्रिटिशकालीन डाक मैसेंजर का चलन

 

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अब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये होगा संवाद

नयी दिल्ली : रेलवे ने गोपनीय दस्तावेजों को निजी संदेशवाहक अथवा डाक मैसेंजर के जरिये भेजने के ब्रिटिश दौर के चलन को खत्म करने का फैसला किया है। रेलवे ने सभी जोनों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संवाद करने का निर्देश दिया है।
रेलवे के विभिन्न जोनों को जारी आदेश के मुताबिक, लागत घटाने और प्रतिष्ठान से जुड़े खर्चो पर बचत बढ़ाने के उपायों के तहत रेलवे बोर्ड की इच्छा है कि रेलवे उपक्रमों और रेलवे बोर्ड के सभी अधिकारियों के बीच सभी विचार-विमर्श वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये किए जाएं और निजी संदेशवाहक या डाक मैसेंजर की बुकिंग तत्काल रोक दी जाए। इसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए क्योंकि इससे भत्तों, स्टेशनरी, फैक्स इत्यादि में उल्लेखनीय बचत होगी।
मालूम हो कि डाक मैसेंजर सामान्यत चपरासी होते हैं जिन्हें रेलवे के पूरे नेटवर्क (रेलवे बोर्ड से इसके विभिन्न विभागों, विभिन्न जोनों और डिवीजनों) में संवेदनशील फाइलें और दस्तावेज लाने-ले जाने की जिम्मेदारी दी जाती है। इस चलन को ब्रिटिश काल में शुरू किया गया था जब इंटरनेट या ईमेल नहीं हुआ करते थे।
इससे पहले रेलवे ने नए पदों का सृजन रोकने, कार्यशालाओं में मानव संसाधनों के युक्तिकरण, आउटसोर्स किए जाने वाले कार्यो को सीएसआर में शिफ्ट करने और औपचारिक कार्यक्रमों को डिजिटल प्लेटफार्मो पर करने का आह्वान किया था। उसने सभी जोनों को कर्मचारियों की लागत घटाकर खर्च नियंत्रित करने, कर्मचारियों को युक्तिसंगत बनाने और उन्हें कई कार्यो में दक्ष करने का सुझाव भी दिया था। इसके अलावा उनसे अनुबंधों की समीक्षा करने, ऊर्जा की खपत घटाने और प्रशासनिक व अन्य क्षेत्रों की लागत घटाने को कहा गया था। रेलवे ने फाइलों का सारा काम डिजिटल करने के निर्देश भी दिए थे और सलाह दी थी कि सारा पत्राचार सुरक्षित ई-मेल के जरिये किया जाए और स्टेशनरी वस्तुओं, कार्टेज व अन्य वस्तुओं का उपयोग कम से कम 50 फीसद कम किया जाए। रेलवे ने सभी जोनों से मंत्रालय की सभी गैर-लाभकारी शाखाओं की समीक्षा करके उन्हें बंद करने को भी कहा था।

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