राष्ट्रीय राजमार्गो पर पैदल यात्रियों की अनदेखी से मानवाधिकार आयोग नाराज

नयी दिल्ली : केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गो पर पैदल यात्रियों, खासकर दिव्यांगों की अनदेखी पर राज्य सरकारों तथा सड़क निर्माण एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी है। केंद्र ने यह कदम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कहने पर उठाया है। आयोग ने इस संबंध में क्षोभ जताते हुए केन्द्र से निर्देश जारी कर रिपोर्ट तलब करने को कहा था।
आयोग की लगातार पूछताछ के बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों तथा सड़क निर्माण से जुड़ी केन्द्रीय एजेंसियों को पत्र लिखकर पैदल यात्रियों के बारे में किए गए उपायों को लेकर आगाह किया है। इसी 30 जुलाई को लिखे पत्र में मंत्रालय ने उन्हें अपने 12 अप्रैल के पत्र की याद दिलाई है। जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो पर पैदल यात्रियों तथा दिव्यांगों के लिए सुविधाएं सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया था।
पत्र में मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से बताया था कि सड़क पर पैदल यात्रियों के संदर्भ में सुविधाओं का इंतजाम आइआरसी : 103 की ‘पैदल यात्रियों के लिए दिशानिर्देश’ शीर्षक से जारी मानकों के अनुरूप होना चाहिए। इस सिलसिले में मंत्रालय ने 17 जून, 2015 को उसकी ओर से जारी परिपत्र का उल्लेख भी किया है।
बता दें कि आइआरसी :103 इंडियन रोड कांग्रेस द्वारा अनुमोदित वो नियमावली है जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो पर फुटपाथ और जेब्रा क्रासिंग बनाने के लिए अपनाए जाने वाले मानकों का ब्यौरा दिया गया है।
राजमार्गो पर पैदल यात्रियों की उपेक्षा को लेकर मानवाधिकार आयोग को नागरिकों की कई शिकायतें मिली थीं। जिसे लेकर उसने सड़क मंत्रालय से चिंता जताई थी और पीडब्लूडी, एनएचएआइ, एनएचआइडीसीएल तथा बीआरओ को निर्देश देने को कहा था। इस साल जून में उसने इस बाबत फिर से पूछताछ की थी और मंत्रालय से अधिकारियों को मौके पर भेजकर वस्तुस्थिति की पड़ताल करने को कहा था, लेकिन मंत्रालय के कई बार याद दिलाने बावजूद किसी ने भी पैदल यात्रियों की सुविधाओं के बाबत कोई रिपोर्ट उसे नहीं भेजी है।
अपने 17 जून, 2015 के परिपत्र में मंत्रालय ने कहा था कि पैदल यात्रियों व दिव्यांगों की सुविधाओं का प्रावधान सड़क की योजना और डिजाइन बनाते वक्त ही कर दिया जाना चाहिए। साथ ही निर्माण और रखरखाव के दौरान भी इस बाबत ध्यान रखा जाना चाहिए। यह भी स्पष्ट किया था कि इन सुविधाओं का बुनियादी मकसद सड़क पर वाहनों और पैदल यात्रियों के बीच टकराव की नौबत को यथासंभव कम करना है।

आइआरसी : 103 में पैदल यात्रियों के लिए दिशानिर्देश

-शहरी क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्गो पर दोनो ओर फुटपाथ होने चाहिए

-फुटपाथ की न्यूनतम चौड़ाई 1800 मिमी हो, ताकि ह्वीलचेयर चल सके।

-जहां पूरे फुटपाथ की इतनी चौड़ाई संभव न हो वहां बीच-बीच में 1800 गुणा 2500 मिमी के पासिंग स्थान बनाए जाने चाहिए।

-फुटपाथ से 2200 मिमी ऊपर तक किसी प्रकार का अवरोध नहीं होना चाहिए।

-फुटपाथ की सड़क से ऊंचाई 150 मिमी से अधिक नहीं होनी चाहिए।

-फुटपाथ के दोनो छोर ढलानदार होने चाहिए। ढलान 1200 मिमी चौड़ी हो।

-दृष्टिहीनो की सुविधा के लिए फुटपाथ के किनारे से 600 मिमी जगह छोड़कर उभारदार टाइलें लगाई जाएं।

-शहरी क्षेत्रों में पैदल यात्रियों को सड़क पार करने के लिए जेब्रा क्रासिंग जरूरी।

-दृष्टिहीनो की सुविधा के लिए जेब्रा क्रासिंग को थर्मोप्लास्टिक से बनाया जाए ताकि यह टटोलने में उभारदार हो।

-दृष्टिहीनो की सहूलियत के लिए जेब्रा क्रासिंग पर ध्वनिकारक ट्रैफिक सिगनल भी लगाए जाने चाहिए।

-जेब्रा क्रासिंग की चौड़ाई सामान्यतया 2 से 4 मीटर होनी चाहिए।

(साभार – दैनिक जागरण)

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