राजनीति की गलियों से इश्क के मकां तक….सचिन – सारा का प्यार

वर्ष 2004 में मकर संक्रांति का त्योहार गुजर चुका था। दिल्ली में ठंड जोरों पर थी. 20, केनिंग लेन में गहमागहमी थी। अगले दिन यहां ऐसी शादी होने वाली थी, जिसपर सत्ता के गलियारों की भी खास नजर थी. 15 जनवरी को ये घर शादी का गवाह बना। दूल्हा थे सचिन पायलट और दूल्हन सारा अब्दुल्ला. ये घर था दौसा से कांग्रेस सांसद रमा पायलट का… लोग कम थे. सुरक्षा ज्यादा. सारा के पिता डॉ. फारूक अब्दुल्ला लंदन में थे। भाई उमर अब्दुल्ला अंपेडिसाइटस के इलाज के लिए दिल्ली के बत्रा हास्पिटल में भर्ती हो चुके थे यानि वधू पक्ष की ओर से किसी ने शादी में शिरकत नहीं की।
ये शादी अब्दुल्ला परिवार को मंजूर नहीं थी। जिस देश में रोज धर्म और जातियों के नाम पर तलवारें खिंचती हों, उसमें ये शादी कुछ नहीं बल्कि काफी अलग और खास थी. क्योंकि लड़का हिन्दू था और लड़की मुसलमान।
शादी हुई. सचिन और सारा पति-पत्नी बन गए। शादी को अब 14 साल हो चुके हैं। दोनों के दो बेटे हो चुके हैं. कभी सियासत में कदम नहीं रखने की बात करने वाले सचिन अब देश के संभावनाशील युवा नेता के रूप में धाक जमा चुके हैं। सारा सामाजिक कामों में व्यस्त रहती हैं। दोनों परफेक्ट कपल हैं. दोनों की शादी को कोई फिल्मी स्टाइल वाली शादी कहता है तो कोई इसे प्यार की मिसाल मानता है। वैसे दोनों के प्यार और शादी की कहानी बेहद खूबसूरत लवस्टोरी लगती है।

आसान नहीं थी डगर
ये प्रेम कहानी इतनी आसान थी नहीं। मोड़ इतने टेढ़े और मुश्किल थे कि उन पर संतुलन बनाकर चलना और मंजिल तक पहुंच पाना मुश्किल ही नहीं असंभव सा लग रहा था। सारा और सचिन पायलट को शादी के कुछ ही महीनों बाद रॉन्डिवू विद सिमी ग्रेवाल शो में आमंत्रित किया गया। दोनों शादी के बाद पहली बार किसी टीवी शो पर गए थे। सारा ने कहा, ‘हम दोनों के परिवारों में दोस्ताना था और मेल-मुलाकातें होती रहती थीं. लिहाजा हम दोनों एक दूसरे को बचपन से ही जानते थे।’

लेकिन ये प्रेम कहानी शुरू कब हुई? शायद शादी के तीन साल से कुछ अधिक समय पहले। वो दोनों लंदन में थे. किसी पारिवारिक क्रार्यक्रम में मिले थे… और एक दूसरे के प्रति आकर्षण महसूस किया था। दोनों नजदीक आए। रोमांस शुरू हुआ। तब तक सचिन लंदन से अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत आ चुके थे। अब सारा पढ़ाई के लिए लंदन में थीं।

दोनों परिवारों में हुआ तगड़ा विरोध
दोनों ने महसूस किया कि वो एक दूसरे के लिए ही बने हैं। उन्हें लगने लगा कि अब शादी कर लेनी चाहिए। ये बात अब घर में बतानी थी। उन्हें अंदाजा तक नहीं था कि जब वो अपने परिवारों के सामने ये सब बताएंगे तो विरोध की चिंगारियां भी निकलने लगेंगी।

सारा ने सिमी ग्रेवाल से कहा, “हम दोनों के पिता अच्छे दोस्त थे। लंबे समय से एक दूसरे को जानते थे। लेकिन दिक्कतें शुरू हो गईं. दोनों परिवारों में विरोध हुआ। सबकुछ बहुत कठिन हो गया था। ऐसा लगने लगा कि शायद हम शादी कर ही नहीं पाएं। हमें भी नहीं मालूम था कि क्या कुछ कैसे होगा। कैसे रास्ता बनेगा। हम कुछ गलत नहीं कर रहे थे। हमारे सामने दो रास्ते थे या तो सबको खुश करें और इंतजार करें या फिर ये तय करें कि जो करना है तो कर लिया जाए।”

हैरान करने वाला था अब्दुल्ला परिवार का रुख
सचिन तो अपने परिवार को मनाने में सफल हो गए, लेकिन सारा के लिए ये बिल्कुल संभव नहीं हो सका। उनके पिता और भाई दोनों ने प्रेम विवाह किया था। पिता ने कैथोलिक क्रिश्चियन महिला से शादी की थी तो भाई ने सिख से। उनके घर में धर्म की कहीं कोई कट्टरता जैसा माहौल नहीं था, लेकिन पिता और भाई को ये रिश्ता कतई मंजूर नहीं था। हालांकि सचिन को अब्दुल्ला परिवार में पसंद किया जाता था।

एक कश्मीरी पत्रकार कहते हैं, “अब्दुल्ला परिवार को शायद लग रहा था कि जम्मू कश्मीर के मुसलमान पसंद नहीं करेंगे कि उनके परिवार की लड़की एक हिन्दू से शादी करे।

यहां तक की अब्दुल्ला परिवार के मित्रों के लिए ये हैरानी की बात थी, क्योंकि इस परिवार को हमेशा से खुले दिमाग वाला माना जाता रहा था। मित्रों के लिए ये अचरज की बात थी कि फारूक शादी के इतने खिलाफ क्यों हैं। मीडिया में तब यहां तक खबरें आईं कि फारूक शादी होने पर बेटी से रिश्ता तोड़ लेंगे। हालांकि अब्दुल्ला परिवार की कड़वाहट कुछ ही महीनों में खत्म हो गई। दोनों परिवारों में रिश्ते सामान्य हो गए। फारूक उसके बाद कई बार सचिन के साथ राजनीतिक मंच पर भी नजर आए.

शादी के दिन अब्दुल्ला परिवार का नहीं होना यही जाहिर भी कर रहा था। शादी को लेकर सारा प्रतिबद्ध थीं। लिहाजा शादी हुई। शादी के समय सचिन एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम कर रहे थे। समय का फेर देखिए कि शादी के कुछ ही महीनों बाद लोकसभा चुनाव हुए। सचिन को राजनीति में आना पड़ा। उन्होंने राजस्थान की दौसा सीट से चुनाव लड़ा। 26 साल की उम्र में वह बड़े अंतर से जीत हासिलकर लोकसभा पहुंचे। यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल में वह कॅरपोरेट मामलों के मंत्री बनाए गए।

मंत्रालय में तब उनके पर्सनल सेक्रेटरी (नाम नहीं देने का अनुरोध) रहे एक शख्स ने इस दंपति को करीब से देखा। वह कहते हैं, “ऐसा लगता है कि दोनों एक दूसरे को खूब समझते हैं। आमतौर पर राजनीति में रहने पर परिवार के लिए समय बहुत कम हो जाता है, लेकिन मैंने कभी सारा मैडम को शिकायत करते नहीं देखा।” उन्होंने एक वाकया बताया, “सचिन सर के पहले बेटे का पहला बर्थ-डे था। हर कोई वर्थ-डे में आया था, लेकिन सर नहीं पहुंच सके. मौसम की वजह से फ्लाइट टल गई। इसी तरह दूसरे बर्थ-डे पर भी हुआ सारा मैडम ने कोई शिकायत नहीं की. वह काफी समझदार हैं.”

वह कहते हैं,  “एक कपल के रूप में मुझे अगर दोनों को नंबर देना हो तो दस में दस नंबर दूंगा।” वह सारा पायलट से जुड़ा एक और वाकया बताया, “सचिन पायलट के घर पर काम करने वाले एक सर्वेंट के नवजात बेटे के दिल में छेद था। सारा खुद उसे लेकर एम्स में डॉक्टर को दिखाने गईं। साथ सचिन सर को भी ले गईं।”

सारा और सचिन के दो बेटे हैं- आरान और विहान. सारा ने पिछले कुछ सालों में महिलाओं के लिए समाजसेवा करके अपनी एक पहचान बनाई है। वह जानी मानी योगा इंस्ट्रक्टर भी हैं. सचिन राजस्थान की राजनीति में व्यस्त हैं। हाल ही में वहां तीन सीटों पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस की जीत का सेहरा सचिन के सिर ही बंधा है।

(साभार)

शुभजिता

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