एमसीसीआई में लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता के साथ विशेष सत्र
कोलकाता । मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआई) हाल ही में “सिविल-मिलिट्री फ्यूजन” पर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम, जीओसी-इन-सी, पूर्वी कमान के साथ एक विशेष सत्र का आयोजन किया। । फोर्ट विलियम में आयेजित इस विशेष सत्र का केंद्रीय विचार नागरिक-सैन्य संलयन हेतु आगे बढ़ना था जो सहयोग, संसाधनों को साझा करने और राष्ट्रीय समृद्धि के लिए प्रत्येक क्षेत्र की ताकत का लाभ उठाने को बढ़ावा देता है।
लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम, जीओसी-इन-सी, पूर्वी कमान ने अपने संबोधन में नागरिक-सैन्य संलयन रणनीति के सहयोग और कार्यान्वयन के महत्व पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि रक्षा, शिक्षा जगत, सरकार और उद्योग के बीच बातचीत से देश की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने विशिष्ट क्षमताओं और स्वदेशी उत्पादन के विकास के लिए दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास में निवेश के लिए क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर भी बात की। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार ने पहले ही “मेक इन इंडिया” जैसी पहल लागू कर दी है जो देश को रक्षा क्षेत्र के लिए सैन्य हथियारों और उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने और आयात पर निर्भरता कम करने में मदद करती है।
उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र बल संरक्षण और स्थिरता, कपड़े और आपूर्ति, ऊर्जा और संचार, चिकित्सा आवश्यकताओं, औद्योगिक क्षमताओं और अपशिष्ट प्रबंधन सहित सैन्य-उद्योग संलयन बनाने के लिए तैयार है। एमसीसीआई के अध्यक्ष नमित बाजोरिया ने कहा कि नागरिक समाज और सेना के बीच सहयोग भी आर्थिक विकास और नवाचार को बढ़ावा दे सकता है। सैन्य अनुसंधान और विकास प्रयासों से अक्सर तकनीकी प्रगति होती है जिसका महत्वपूर्ण नागरिक अनुप्रयोग होता है। सैन्य अनुसंधान एवं विकास को नागरिक अनुसंधान एवं विकास के साथ जोड़कर, सरकारें नवाचार को बढ़ावा दे सकती हैं, नए उद्योग बना सकती हैं और आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा दे सकती हैं। सत्र का समापन एमसीसीआई के तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष ऋषभ सी. कोठारी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ ।