डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (डीआईएससी) के तहत रक्षा मंत्री ने स्टार्टअप शुरू करने वाले उद्यमियों के सामने भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों की जरुरतों के हिसाब से 11 तकनीकी चुनौतियों को रखा था। इन चुनौतियों में ज्यादातर ऐसी थीं, जो सुरक्षा बलों से जुड़ी हैं। इसमें क्षमता के हिसाब से प्रोटोटाइप तैयार करने वालों को 1.5 करोड़ रुपये तक का अनुदान देने की घोषणा भी की गई थी।
दो महीने से भी अधिक बीत रहे हैं जब देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय स्टार्टअप जगत को देश की सुरक्षा में योगदान करने का मौका दिया था। डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (डीआईएससी) के तहत रक्षा मंत्री ने स्टार्टअप शुरू करने वाले उद्यमियों के सामने भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों की जरुरतों के हिसाब से 11 तकनीकी चुनौतियों को रखा था। इन चुनौतियों में ज्यादातर ऐसी थीं, जो सुरक्षा बलों से जुड़ी हैं। इसमें क्षमता के हिसाब से प्रोटोटाइप तैयार करने वालों को 1.5 करोड़ रुपये तक का अनुदान देने की घोषणा भी की गई थी। रक्षा मंत्री ने इन सभी स्टार्टअप को लेजर वेपनरी, अनमैन्ड सरफेस, अंडरवॉटर वीइकल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लॉजिस्टिक जैसी समस्याओं का समाधान करने के सुझाव दिए थे। इस स्कीम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सिलेंस (iDEX) पहल के तहत इसी साल अप्रैल में की गई थी। हालांकि पहले से ही कई स्टार्टअप रक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और अपने अनोखे उत्पादों से सेना का काम आसान कर रहे हैं। हम आपको उन्हीं स्टार्टअप से रूबरू कराने जा रहे हैं।
टोन्बो इमेजिंग (Tonbo Imaging)
युद्ध के मैदान में धूल, धुआं, धुंध, छिद्र और यहां तक कि अंधेरा भी दृष्टि को बाधित कर देता है, जिस वजह से सैनिकों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। बेंगलुरु की कंपनी टोन्बो इमेजिंग ऐसे सेंसर विकसित करती है जो ऐसे माहौल में भी साफ दिखने वाले उपकरण में इस्तेमाल की जा सके। इस कम्पनी की शुरुआत 2003 में अरविंद लक्ष्मीकुमार और अंकित कुमार ने की थी। यह स्टार्टअप सरनोफ कॉर्पोरेशन और स्टैनफोर्ड रिसर्च इंटरनेशनल की सहायक कंपनी के रूप में काम कर रहा है।
टोन्बो इमेजिंग माइक्रो ऑप्टिक्स, लोवर पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और रियल टाइम विजन की मदद से कम रोशनी या धुंध में दृष्टि को साफ बनाती है। इसके लिए मिड वेव आईआर और लॉन्ग वेव आईआर स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करती है। कंपनी ने अब तक 2.3 करोड़ डॉलर की फंडिंग जुटाई है। इसमें आर्टिमैन वेंचर्स, वाल्डेन रिवरवुज वेंचर और क्वॉलकॉम वेंचर जैसे इन्वेस्टर्स शामिल हैं।
आइडिया फोर्ज (Idea Forge)
मुम्बई : स्थित इस स्टार्टअप ने भारत का पहला स्वायत्त माइक्रो यूएवी (मानव रहित एरियल विमान) विकसित किया। 2007 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) बॉम्बे के पूर्व छात्रों अंकित मेहता, राहुल सिंह और आशीष भट्ट द्वारा स्थापित, कंपनी के यूएवी का उपयोग निगरानी, इमेजरी और अन्य औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है। कंपनी ने अब तक इंफोसिस, इंडसएज पार्टनर्स और वाल्डन रिवरवुड वेंचर्स से एक करोड़ डॉलर की कुल राशि निवेश के रूप में प्राप्त की है।
विजएक्सपर्ट्स (VizExperts)
नई दिल्ली स्थित इस स्टार्टअप की शुरुआत डेटा को फैसले लेने में उपयोग में लाने वाली सोच के साथ विकसित किया गया था। इसकी स्थापना IIT-BHU के पूर्व छात्र प्रवीण भानिरम्का द्वारा 2006 में की गई थी। यह एक इंटेलिजेंस कंपनी के रूप में शुरू हुई थी। कंपनी द्वारा विकसित भूस्थानिक प्लेटफॉर्म GEORBIS सेना को वास्तविक समय में ऑपरेशन प्लानिंग से जुड़ी जानकारियां प्रदान करता है ताकि उचित समय पर सही फैसले लिए जा सकें। विज एक्सपर्स्ट्स ने 2008 में रिसर्च एवं डेवलपमेंट विभाग में एक लाख डॉलर खर्च किए थे।
एक्सिओ बायोसॉल्युशन्स (Axio Biosolutions)
बेंगलुरु स्थित यह ट्रॉमा केयर और डिवाइस कंपनी सैन्य बल को मेडिकल सॉल्युशन उपलब्ध कराती है। इसकी स्थापना 2008 में लियो मावेली ने की थी। कंपनी द्वारा बनाया जाने वाला काइटोसान आधारित हेइमोस्टैटिक ड्रेसिंग उपलब्ध कराती है। इससे घाव से खून बहना बंद हो जाता है और वहां पर कोई इन्फेक्शन नहीं होता। कंपनी का दावा है कि गंभीर से गंभीर घाव से बहने वाले खून को यह प्रॉडक्ट पांच मिनट में रोक सकने की क्षमता रखता है। इस कंपनी ने भी एक्सेल पार्टनर, आईडीजी वेंचर्स इंडडिया और यूसी-आरएनटी फंड से एक करोड़ की फंडिंग मिल चुकी है।
क्रोन सिस्टम (CRON Systems)
हरियाणा स्थित यह स्टार्टअप देश की सीमाओं पर होने वाले अवैध घुसपैठ का पता लगाकर उसे सुरक्षित करने में योगदान देने वाला सिस्टम विकसित कर रहा है। इस स्टार्टअप की शुरुआत फरहीन अहमद, टॉमी, तुषार छाबड़ा और सौरव अग्रवाल द्वारा की गई थी। क्रोन सिस्टम फिलहाल सीमा सुरक्षा बल और भारतीय थल सेना को पूरा सहयोग प्रदान कर रहा है। शुरू में इस कंपनी ने केवी सीरीज तैयार की थी जो कि इन्फ्रारेड लेजर द्वारा संचालित है। इससे बॉर्डर पर होने वाली घुसपैठ का पता लगाया जा सकता है, फिर चाहे कैसा भी मौसम हो। कंपनी के मुताबिक इस सिस्टम को भारत-पाक सीमा पर लगाया भी जा चुका है। अभी फिलहाल कंपनी के लैब में स्वचालित ड्रोन और स्मार्ट फेंसिंग पर काम चल रहा है। हालांकि इस बात की कोई रिपोर्ट नहीं है कि कंपनी को कितनी फंडिंग मिल चुकी है लेकिन कंपनी में योरनेस्ट एंजेल फंड, टेकस्टार और टेकस्टार एडीलेड एक्सेलेरेटर ने इसमें निवेश किया है।
(साभार योर स्टोरी)