पंकज मिश्रा, हमीरपुर । उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के एक छोटे से गांव के एक गरीब छात्र ने हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा में हमीरपुर टॉप कर अपने दादा-दादी का नाम रोशन किया है। माता-पिता के निधन के बाद इसे बूढ़े दादा और दादी ने न सिर्फ परवरिश की, बल्कि चाय और गुटखा पान मसाला की दुकान चलाकर इसे बड़ा अफसर बनाने के लिए पढ़ा भी रहे हैं। पोते की कामयाबी से बूढ़े दादा और दादी का आंखें खुशी से भर आई हैं।
हमीरपुर जिले के ललपुरा थाना क्षेत्र के पौथियां गांव पूर्व मंत्री शिवचरण प्रजापति का पैतृक गांव है। यहां गरीब परिवार के उज्ज्वल गुप्ता ने गरीबी का दंश झेलते हुए आज समूचे क्षेत्र में कामयाबी का परचम फहराया है। माता-पिता के निधन के बाद उज्ज्वल और इसकी छोटी बहन श्रृद्धा की परवरिश करने से सभी रिश्तेदार एक-एक कर दूर हो गए थे, लेकिन इन दोनों अनाथ बच्चों को बूढ़े दादा और दादी ने सीने से लगाकर पालन पोषण किया। गांव में एसबी इण्टर कॉलेज में पढ़ने वाले उज्ज्वल गुप्ता ने हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा के तैयारी के लिए रोजाना दस घंटे तक पढ़ाई की है।
आज उसने हमीरपुर जिले में बोर्ड परीक्षा में टॉप किया तो उसके बूढ़े दादा और दादी के आंखें खुशी से भर आई है। उसने 94.17 फीसदी अंक हासिल किए हैं। इस कामयाबी पर बूढ़े दादा ने पोते को अपनी दुकान में ही खुशी से मुंह मीठा कराकर प्यार जताया तो पड़ोसी लोग भी द्रवित हो गए। उज्ज्वल गुप्ता ने बताया कि बीटेक करने के बाद इंजीनियर बनकर देश की सेवा करने का सपना है, जिसे साकार करने के लिए अब पढ़ाई के घंटे बढ़ाएंगे जाएंगे। उसने कहा कि यह मेरा जीवन दादा और दादी के लिए है, जिन्होंने आर्थिक तंगी के बीच हमें और छोटी बहन के लिए सहारा बने हैं। बहन भी कक्षा आठवीं में पढ़ती हैं।
माता-पिता के निधन होने से भाई बहन हुए थे अनाथ
उज्ज्वल गुप्ता के पिता रामचन्द्र गुप्ता उर्फ गरीबा कैंसर की बीमारी से 6 मई 2010 को मौत हो गई थी। वहीं, मां रामा की भी 21 नवम्बर 2013 को मौत हो गई थी। बचपन में माता-पिता का सिर से हाथ उठने के बाद उज्ज्वल व श्रृद्धा अनाथ हो गए थे। इन दोनों बच्चों को दादा तारा चन्द्र गुप्ता व दादी रामलली ने सीने से लगाते हुए पालन पोषण किया। दादा गांव में ही चाय और गुटखा पान मसाला की दुकान किए हैं। इस दुकान से पूरे घर का जैसे तैसे गुजारा होता है। इसके अलावा बूढ़ी दादी भी दुकान में समोसे बनाती हैं।
बच्चों का भविष्य बनाने को दादी बेचती हैं समोसे
उज्ज्वल के दादा जहां चाय पान मसाला और गुटखा की दुकान चलाते है तो वहीं दादी रामलली दुकान में समोसे बनाती हैं। यह पोते उज्ज्वल और श्रद्धा का भविष्य बनाने के लिए गांव में समोसे भी बेचती हैं। दादा ने बताया कि बच्चों की परवरिश के साथ उन्हें बड़ा अफसर बनाने के लिए ऐसी उम्र में भी दुकान चलानी पड़ रही है, ताकि दोनों का कल संवर जाए। बताया कि उज्ज्वल को पढ़ाई में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए पोते को गांव में संचालित एक कोचिंग पढ़ने को भेजा गया। जहां टीचर अच्छे लाल ने बोर्ड की तैयारी में मदद की।