दोस्ती की कसमें खाना एक बात है और उसे निभाना दूसरी बात है। दोस्ती हो या कोई भी रिश्ता, वह एक दिन की कहानी नहीं है। एक पल से शुरू हुई बात अफसाना बन सकती है और यह हमारे हाथ में है। दोस्त तो हर जगह हो सकते हैं मगर उनको सहेजना भी एक कला है। आप भी यह कला जान सकते हैं, बस इन बातों का ध्यान जरूर रखें –
दोस्त बनिए बॉस नहीं। ठीक है कि दोस्तों पर हक जताया जा सकता है मगर हक जताने और हुकूम चलाने में फर्क है। इस फर्क को समझना और दोस्तों की सुनकर उनको समझना भी जरूरी है।
दोस्तों के बीच हंसी-मजाक होते रहते हैं, लेकिन बात-बात पर अपने दोस्तों का मजाक बनाने से बचें। दोस्तों का काम एक-दूसरे को सपोर्ट करना होता है न की एक-दूसरे को नीचा दिखाना नहीं होता।
आज के दौर में वक्त देना मुश्किल है। ऐसे में आप सबको समय चुराना पड़ेगा। थोड़ी सी कोशिश से यह मुमकिन है। दोस्त ताजी हवा का झोंका हैं तो उनके साथ तो एक शाम बनती ही है। अगर मुमकिन हो तो सप्ताहांत में या छुट्टियों में घूम आया कीजिए। कोशिश कीजिए कि उसकी जरूरत के वक्त वह अकेला न रहे, आप उसके साथ रहें।
गलती किसी से भी हो सकती है और अपनी गलती को मान लेने में ही समझदारी होती है। अगर आपकी किसी गलती की वजह से आपका दोस्त आप से नाराज हो जाए तो उसे सॉरी कहिए और मना लीजिए। कभी – कभी एहसास दिलाना पड़ता है दोस्तों को कि वह हमारे लिए कितने खास हैं।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ मतलब पड़ने पर या काम पड़ने पर ही अपने दोस्तों को याद करते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो एक बार अपने बर्ताव पर ध्यान दें। अगर आपको दोस्त ऐसे मिले हैं तो एक दूरी बनाकर रखें मगर दोस्ती तोड़ें नहीं।
(तस्वीर – साभार)