-पीयूष
मैं उस भारत से आता हूं, जिसके गुण मै गाता हूं,
ऋषियों की यज्ञ स्थली है जो, वीरों की पुण्य स्थली है जो,
शबरी के बेर खाकर जो, जात – पात भूलता है;
मैं उस भारत से आता हूं।
महाराणा जैसे वीरों का यश , जहां गया जाता है,
और हवाओं के द्वारा जहां मौसम पहचाना जाता है,
मैं उस भारत से आता हूं, जिसके गुण मै गाता हूं।
पूरी धरा पर सबसे ज्यादा जो सदाचार निभाता है,
समर भूमि में शत्रु को भी अपनी विनय दिखता है,
मैं उस भारत से आता हूं, जिसके गुण मै गाता हूं।
अपनों की क्या बात करें,जो गैरो को भी अपनाता है,
आदर्शों में सबसे उत्तम, वसुधैव कटुंबकम् हमें सिखाता है,
मैं उस भारत से आता हूं, जिसके गुण मै गाता हूं।
स्त्रियों के सम्मान में जो,सदा शीश झुकाता है,
पांडवो की पत्नी को भी, देवी कहकर बुलाता है,
मैं उस भारत से आता हूं, जिसके गुण मै गाता हूं।
शक्ति इसकी अथाह गगन, किन्तु धैर्य का पाठ पढ़ता है,
और जहां देवों से बढ़कर, गुरु को माना जाता है,
मै उस भारत से आता हूं, जिसके गुण मै गाता हूं।
विपदा कितनी भी आईं हो, जो अडिग खड़ा रह जाता है,
शरणागति मै आए हुए,रिपु को भी अपनाता है,
मै उस भारत से आता हूं, जिसके गुण मै गाता हूं।
माता – पिता की सेवा करना, जहां परम धर्म कहलाता है,
तीनो लोकों का होकर स्वामी,जो पिता का वचन निभाता है,
मैं उस भारत से आता हूं ,जिसके गुण मै गाता हूं।
जिसके गुण सनातन कल से, गाए जाते है,
बच्चे – बच्चे को सारे आदर्श, जहां सिखाए जाते है,
मैं उस भारत से आता हूं, जिसके गुण मै गाता हूं।
शहीद- ए – आजम
इंकलाब की शान थे,
संग्राम – ए – स्वंत्रता की जान थे,
अन्याय के लिए तूफान थे,
ऐसे हमारे भगत वीर जवान थे;
देश के लिए हंसते – हंसते,
जिसने प्राण गवाए थे,
अन्याय के लिए बनकर शूल,
अंगारे जिन्होंने जलाए थे;
अंग्रेज़ हुकमत के सामने,
जिसने क्रांति का शास्त्र उठाया था,
तब जाकर ‘ शहीद – ए – आजम ‘,
का नाम उन्होंने पाया था;
एक समान दृष्टि से सबको,
देखना जिन्हें प्यारा है,
भारत मां के ऐसे लाल के चरणों में;
शत् – शत् नमन हमारा है।