कोलकाता । गत शुक्रवार, 28 जुलाई को कोलकाता की जानी मानी संस्था साहित्यिकी द्वारा सुप्रसिद्ध साहित्यकार रांगेय राघव की जन्म शताब्दी के अवसर आयोजित गोष्ठी में रवींद्रनाथ विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग अध्यक्ष और हिंदी साहित्य के प्रकाण्ड विद्वान प्रोफ़ेसर हितेंद्र पटेल ने रांगेय राघव के व्यक्तित्व और कृतित्व के बहुआयामी पक्षों पर गंभीरता से विचार करते हुए उनके विपुल साहित्य का मूल्यांकन ऐतिहासिक दृष्टि से किया। रांगेय राघव की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थापनाओं पर उन्होंने संजीदगी से अपनी बात रखते हुए उनकी अनुसंधानपरक कृति महायात्रा गाथा की विशेष रूप से चर्चा करते हुए सांस्कृतिक स्मृतियों और मानव इतिहास की विकास यात्रा में अंतर्निहित जैविक, भाषिक, पुरातात्विक और विज्ञानपरक दृष्टि को उजागर किया।
विख्यात समीक्षक-कवि डॉ. गीता दूबे ने रांगेय राघव के उपन्यासों के विस्तृत फलक पर बात करते हुए कहा कि वे मानव के सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक यात्रा का दस्तावेज हैं जिनका अध्ययन साहित्य के विद्यार्थियों में सम्यक् दृष्टि का विकास करेगा। तत्कालीन उपन्यासों की प्रतिक्रिया में लिखे कुछ उपन्यासों की विशेष चर्चा की जैसे विषाद मठ आदि । उन्होंने दुख के साथ कहा कि रांगेय राघव के साहित्य को हिंदी साहित्य के इतिहास और पाठ्यक्रम दोनों में उन्हें वह स्थान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे।
संस्था की सचिव मंजु रानी गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था की गतिविधियों का उल्लेख किया। उषा श्रॉफ़ ने कार्यक्रम का सफल संचालन क्या। साहित्यिकी की अध्यक्षा श्रीमती विद्या भंडारी ने अतिथि वक्ता प्रोफ़ेसर हितेंद्र पटेल एवं डॉ. गीता दूबे को उनके विद्वतापूर्ण और सारगर्भित वक्तव्य के लिए आभार प्रकट करते हुए आगत अतिथियों, विद्यार्थियों, सदस्यों का हृदय से धन्यवाद किया। भारतीय भाषा परिषद का और सहयोगी कर्मचारियों का भी धन्यवाद किया। इस अवसर पर कवि शैलेंद्र, जीतेंद्र जीतांशु और महानगर के साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल और सार्थक आयाम दिया।