मनुष्यता का साहित्य है भक्तिकालीन काव्य

मिदनापुर : राजा नरेंद्र लाल खान वुमेन कॉलेज के हिंदी विभाग की ओर से ‘भक्तिकालीन काव्य में मानव- मूल्य ‘विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।इस अवसर पर संगोष्ठी का उद्धाटन करते हुए प्रिंसिपल डॉ जयश्री लाहा ने कहा कि भक्तिकालीन काव्य प्रेम  और मानव मूल्यों का समुच्चय है ।बतौर मुख्य अतिथि विद्यासागर विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर दामोदर मिश्र ने कहा कि भक्तिकाल का समग्र साहित्य वर्ण व्यवस्था, ईर्ष्या और अंधविश्वास के विरुद्ध मानव जाति, प्रेम और ज्ञज्ञान का संकल्प बीज भाषण देते हुए प्रोफेसर हरिश्चन्द्र मिश्र ने कहा कि भक्तिकाल का साहित्य बहुआयामी और सांस्कृतिक आंदोलन का युग है ।यह उदात्त और मानवीय काल के रूप में हमें प्रेरित करता है ।प्रो विभा कुमारी ने भक्तिकालीन साहित्य में स्त्री -चेतना के विविध आयामों पर चर्चा करते हुए कहा कि सामंती परिवेश में स्त्री का जीवन बंधा था ।रेवेंशा विश्वविद्यालय की प्रो अंजुमन आरा ने कहा कि भक्तिकालीन साहित्य हिंदू धर्म और इस्लाम के अतिवादी कुसंस्कारों का विरोध है और इस युग में भक्त कवियों ने मानव-प्रेम को केंद्र में रखा। डॉ. प्रमोद कुमार प्रसाद ने कहा कि भक्तिकालीन साहित्य आज भी प्रासंगिक है। डॉ. संजय पासवान ने कहा कि भक्तिकाव्य लोकमंगल के विचारों से संपृक्त है। डॉ. रणजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि आज के वैश्वीकरण  के युग में भक्ति का स्वरूप बदल गया है और बाजार ने भक्ति को वस्तु बना दिया है। डॉ. रामप्रवेश रजक ने भक्तिकाल को प्रेम, ज्ञान और भक्ति का संगम बताया। इस अवसर पर आयोजित कार्यशाला ‘हिंदी में रोजगार की संभावनाएं’ विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए डॉ. राजीव रावत ने कहा कि हमें रोजगार के लिए अपना कौशल विकसित करना होगा। डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि भक्तिकालीन साहित्य में मानव विरोधी मूल्यों के बरक्स साम्प्रदायिक सद्भाव को प्रतिष्ठापित करने का संकल्प है। विभागाध्यक्ष डॉ. रेणु गुप्ता ने कहा कि भक्तिकालीन साहित्य हमें मानवीय बनाता है। डॉ. धनराज भगत ने कहा कि कबीर हमारे यहाँ सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष लेखक के रूप में आते हैं। इस अवसर पर सीमा कुमारी साह, विक्रम मुख्य, नवनीत दास, श्रद्धा कुमारी, प्रो. धनराज भगत, विनय प्रसाद,, सोम दे, सलोनी शर्मा, टीना परवीन, रिया श्रीवास्तव, अशर्फी खातून, रेशमी वर्मा, अभिलक्ष्य आनंद, राधेश्याम सिंह, अंकिता द्विवेदी, बिट्टू कौर, स्वाति के. रेखा, रूबी शर्मा, पूजा मिश्रा , पुष्पलता, सीता महता, रूपल साव, राहुल गौड़, दीपनारायण चौहान, अमित राय, सोनाली कुमारी,शारदा महतो और अनिल कुमार साह ने आलेख पाठ किया। कार्यक्रम का  संचालन करते हुए मधु सिंह ने कहा कि भक्तिकालीन साहित्य का लक्ष्य भक्ति और  ज्ञान के साथ मनुष्य की महत्ता को स्थापित करना था ।धन्यवाद ज्ञापन  देते हुए प्रो. सुमिता भकत ने  कहा कि भक्तिकाल का साहित्य लोकजागरण और मानव मुक्ति का साहित्य है ।

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