कोविड ने एक बार फिर से परेशान करना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र में तो कोरोना के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उसे देखकर मन में अनायास ही एक भय उत्पन्न होने लगता है…मगर महाराष्ट्र वह राज्य है जहाँ चुनाव नहीं हैं..सरकार तेजी से फैसले ले रही है और पाबंदियाँ लगने लगी हैं मगर जिन राज्यों में चुनाव हैं, वहाँ पर कोरोना होकर भी नहीं है। विचित्र बात यह है कि चुनाव जीत जाने की ऐसी लगन है कि किसी पार्टी के किसी नेता को कुछ भी नहीं दिख रहा…शायद 2 मई के बाद दिखना शुरू हो जाए मगर तब तक अगर हालात बिगड़े तो इसका जिम्मेदार कौन होगा…? जो लोग कल तक सामाजिक दूरी का सन्देश दे रहे थे…आज अपनी रैलियों में उमड़ती भीड़ देखकर फूले नहीं समा रहे…दवाई सबको मिली नहीं और कड़ाई को कड़ाही में डाल दिया गया है…और यह उस देश में हो जिसने एक लम्बा लॉकडाउन पिछले साल देखा…सुनसान गलियाँ. ठप कारोबार देखा…क्या ये अच्छा नहीं होता कि मतदान की प्रक्रिया को भी ऑनलाइन कर दिया जाये…मतदाता पहचान पत्र को जोड़िए आधार कार्ड से और लोग एक बटन क्लिक करके मतदान करें…यह जरूरी है क्योंकि यह न सिर्फ बीमारी से बचाएगा बल्कि चुनावी हिंसा और धांधली पर भी नियंत्रण करेगा। जो धन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर होने वाला खर्च है, वह सही जगह पर होगा। लोग अपने फोन से मतदान करेंगे तो गड़बड़ी कम होगी…सीधे एक रिकॉर्ड रहेगा…मतगणना आसान होगी…आज हमारा देश जब आजादी की 75 वीं वर्षगाँठ मनाने जा रहा है तो ऐसी स्थिति में हमें धीरे – धीरे अपने तौर – तरीके बदलने की जरूरत है..तभी तो आजादी का जश्न और भी दमदार होगा।