Monday, August 18, 2025
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भारत का अपना देसी इंस्टेंट सुपर फूड सत्तू

सत्तू! नाम सुनते ही मुंह में एक देसी ठंडक सी घुल जाती है, जैसे गर्मी की तपती दोपहर में किसी ने ठंडे सत्तू का घड़ा थमा दिया हो। बिहार, उत्तर प्रदेश, और पूर्वांचल का ये सुपरफूड सिर्फ पेट की आग बुझाने का जुगाड़ नहीं, बल्कि सेहत का खजाना और इतिहास का एक ऐसा नायक है, जिसने सदियों से मेहनतकश लोगों का साथ निभाया है। आइए, सत्तू की इस रोचक यात्रा में गोता लगाएं, जहां हम इसके गुण, इतिहास, और फायदों को थोड़े मजे और ढेर सारी जानकारी के साथ खंगालेंगे।
सत्तू कोई फैंसी सुपरफूड नहीं, जो विदेशी लैब में बनता हो। ये है भुने हुए चने, जौ, या मिक्स अनाज को पीसकर बनाया गया पाउडर, जो बिहार की गलियों से लेकर यूपी के खेतों तक हर जगह राज करता है। इसे पानी या दूध में घोलकर पी सकते हैं, नमक-मिर्च डालकर तीखा बनाएं या गुड़ मिलाकर मीठा—सत्तू हर मूड का साथी है। गर्मियों में ठंडा सत्तू का शरबत और सर्दियों में सत्तू की लिट्टी-चोखा, ये तो बस ट्रेलर है, पूरी फिल्म तो इसके फायदों में छिपी है।
सत्तू को “गरीब का प्रोटीन शेक” भी कहते हैं, क्योंकि ये सस्ता, पौष्टिक, और इतना आसान है कि इसे बनाना किसी रॉकेट साइंस से कम नहीं, फिर भी हर गृहिणी इसे चुटकियों में तैयार कर लेती है। लेकिन सत्तू की सादगी के पीछे छिपा है इसका शाही इतिहास और गुणों का खजाना।
सत्तू का इतिहास: योद्धाओं का भोजन, किसानों का सहारा
सत्तू की कहानी उतनी ही पुरानी है, जितनी भारत की मिट्टी। प्राचीन काल में सत्तू योद्धाओं और यात्रियों का सबसे भरोसेमंद साथी था। भुने चने या जौ को पीसकर बनाया गया ये पाउडर हल्का, टिकाऊ, और पौष्टिक था। इसे पानी में घोलकर तुरंत ऊर्जा मिलती थी, इसलिए सैनिक इसे अपनी पोटली में बांधकर युद्ध के मैदान में ले जाते थे। महाभारत के दौर में भी सैनिकों के राशन में सत्तू का जिक्र मिलता है—सोचिए, अर्जुन भी शायद सत्तू का शरबत पीकर धनुष उठाता होगा!
मध्यकाल में सत्तू किसानों और मजदूरों का सबसे बड़ा सहारा बन गया। खेतों में दिनभर मेहनत करने वाले लोग सत्तू को पानी में घोलकर पीते और घंटों तक भूख-प्यास को बाय-बाय कहते। बिहार और यूपी के गांवों में आज भी सत्तू को “पूरा खाना” माना जाता है, क्योंकि ये पेट भरता है, जेब नहीं खाली करता।
19वीं सदी में जब बिहार और पूर्वांचल के मजदूर ब्रिटिश जहाजों में कैरिबियन और फिजी जैसे देशों में गए, तो सत्तू उनकी थैली में था। ये सत्तू ही था, जो उन्हें लंबी समुद्री यात्राओं में ताकत देता रहा। आज भी बिहार के हर घर में सत्तू की थैली मिल जाएगी, जैसे कोई पुश्तैनी खजाना हो।
सत्तू के गुण: देसी सुपरफूड की ताकत
सत्तू की ताकत को समझने के लिए किसी न्यूट्रिशनिस्ट की डिग्री की जरूरत नहीं। ये सादा सा पाउडर अपने आप में एक पावरहाउस है। आइए, इसके गुणों पर नजर डालें:
प्रोटीन का खजाना: सत्तू में 20-25% प्रोटीन होता है, जो इसे शाकाहारी लोगों के लिए जिम वालों के प्रोटीन शेक का देसी जवाब बनाता है। चने और जौ से बना सत्तू मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर को ताकत देता है।
फाइबर का फंडा: सत्तू में ढेर सारा फाइबर होता है, जो पाचन को दुरुस्त रखता है। कब्ज की शिकायत? सत्तू का शरबत पीजिए, और अलविदा कहिए पेट की परेशानियों को।
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स: सत्तू धीरे-धीरे ऊर्जा रिलीज करता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। डायबिटीज वालों के लिए ये किसी जादुई औषधि से कम नहीं।
विटामिन और मिनरल्स: सत्तू में आयरन, मैग्नीशियम, और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स होते हैं, जो खून की कमी को दूर करते हैं और थकान को भगाते हैं।
कैलोरी का कंट्रोल: सत्तू कम कैलोरी वाला, लेकिन पेट भरने वाला फूड है। वजन घटाने की सोच रहे हैं? सत्तू आपका दोस्त बन सकता है।
हाइड्रेशन का हीरो: गर्मियों में सत्तू का शरबत शरीर को ठंडा रखता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है। नींबू, नमक, और जीरा डालकर पीजिए, लू भी शरमाएगी।
सत्तू के फायदे: सेहत, स्वाद, और जेब का दोस्त
सत्तू सिर्फ पेट भरने की मशीन नहीं, ये सेहत का ऐसा खजाना है, जो स्वाद और जेब दोनों को खुश रखता है। आइए, इसके फायदों की माला जपें:
ऊर्जा से भरपूर: सत्तू में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का कॉम्बो तुरंत एनर्जी देता है। सुबह का नाश्ता भूल गए? एक गिलास सत्तू का शरबत पीजिए, और दिनभर की बैटरी चार्ज।
पाचन का मसीहा: सत्तू का फाइबर पेट को साफ रखता है और आंतों को खुश। अगर आपका पेट रोज सुबह नखरे करता है, तो सत्तू को अपना गुरु मान लीजिए।
गर्मी का दुश्मन: तपती गर्मी में सत्तू का ठंडा शरबत किसी अमृत से कम नहीं। ये शरीर को हाइड्रेट रखता है और लू से बचाता है।
डायबिटीज का दोस्त: सत्तू का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए ये मीठा नहीं, लेकिन मीठी जिंदगी का रास्ता जरूर है।
वजन घटाने का जादू: सत्तू कम कैलोरी में पेट भरता है, जिससे भूख कम लगती है। जिम में पसीना बहाने से पहले सत्तू का शरबत पीजिए, और वजन को अलविदा कहिए।
खून की कमी का इलाज: सत्तू में आयरन और फोलिक एसिड होता है, जो एनीमिया से लड़ता है। खासकर महिलाओं के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं।
जेब का दोस्त: सत्तू सस्ता, टिकाऊ, और आसानी से मिलने वाला है। विदेशी सुपरफूड्स की चमक छोड़िए, सत्तू देसी सुपरहीरो है।
सत्तू का स्वाद: लिट्टी-चोखा से लेकर आधुनिक आहार तक
सत्तू सिर्फ शरबत तक सीमित नहीं। बिहार में सत्तू की लिट्टी-चोखा तो ऐसा व्यंजन है, जिसके सामने फाइव-स्टार मेन्यू भी फीका पड़ जाए। सत्तू को पराठे में भरकर, लड्डू बनाकर, या फिर नमकीन स्नैक के तौर पर खाया जाता है। आजकल मॉडर्न कैफे में सत्तू स्मूदी और सत्तू प्रोटीन बार भी ट्रेंड में हैं।
बिहार में सत्तू सिर्फ खाना नहीं, संस्कृति है। शादी-ब्याह में सत्तू की मिठाई, खेतों में सत्तू का शरबत, और बच्चों के टिफिन में सत्तू का लड्डू—ये सब बिहारी जिंदगी का हिस्सा है। सत्तू को “सात सूखे अनाज” से जोड़कर देखा जाता है, जो सात्विक भोजन का प्रतीक है। गांवों में आज भी बुजुर्ग कहते हैं, “सत्तू खा लो, सात दिन तक भूख नहीं लगेगी।”
सत्तू कोई साधारण अनाज नहीं, ये बिहार की मिट्टी से निकला वो हीरा है, जो सदियों से योद्धाओं, किसानों, और आम लोगों का साथी रहा है। इसका इतिहास हमें मेहनत और सादगी की कहानी सुनाता है, इसके गुण सेहत को चमकाते हैं, और इसके फायदे जेब को हल्का नहीं होने देते। गर्मी में ठंडक, भूख में ताकत, और बीमारी में दवा—सत्तू हर रूप में कमाल है। तो अगली बार जब आप सत्तू का शरबत बनाएं, तो उसे सिर्फ प्यास बुझाने का जुगाड़ न समझें। ये वो देसी सुपरफूड है, जो आपके शरीर को ताकत, दिमाग को ठंडक, और दिल को बिहारी गर्व देगा।

(साभार -मेराज नूरी की फेसबुक पोस्ट)

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