भारतीय भाषा परिषद में गूंजी हिंदी और नेपाली की कविताएँ

कोलकाता :  भारत-नेपाल के बीच 31जुलाई, 1950 को हुई अंतरराष्ट्रीय संधि के अनुसार दोनों देशों के नागरिक एक दूसरे के देश में बिना किसी रुकावट के रहने और काम करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस संधि का लाभ उठाते हुए दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक संपर्क दिन-प्रतिदिन प्रगाढ़ होते गए। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण शुक्रवार की शाम भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता में आयोजित काव्य लहरी-2 की काव्य संध्या में देखने को मिला जहाँ नेपाल के संघर्षशील और प्रतिष्ठित रचनाकार कवि और हिंदी के कवियों के साथ रूबरू हुए। हिंदी के साथ अन्य राष्ट्रीय भाषाओं के बीच मैत्री, प्रेम एवं संहति बनाए रखने की सार्थकता ही भारतीय भाषा परिषद की काव्य लहरी-2 के आयोजन की बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। कविता पाठ आरंभ होने के पूर्व हिंदी साहित्य के मर्मज्ञ आलोचक तथा वक्ता डॉ.ऋषिकेश राय ने नेपाली साहित्य का संक्षिप्त परिचय दिलाते हुए उपस्थित साहित्यानुरागियों को अवगत कराया कि लोकभाषा में जिस प्रकार हिंदी के महाकवि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस का सृजन किया ठीक उसी प्रकार नेपाली साहित्य में भानुभक्त आचार्य का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है जिन्होंने नेपाली भाषा में रामायण की रचना की। डॉ राय ने नेपाली और हिंदी साहित्य की संवेदना की एकता को रेखांकित करते हुए सांस्कृतिक सौमनस्य पर बल दिया। नेपाल में केदारमान व्यथित जैसे कवि भी हैं जो हिंदी में कविता लिख कर हिंदी की निरन्तर सेवा करते जा रहे हैं। यह भारत और नेपाल दोनों देशों के लिए बड़ा सुखद संकेत है।
प्रो.सत्य प्रकाश तिवारी ने अपने नेपाल प्रवास के दौरान जो प्रेम और सम्मान पाया उसके लिए उन्होंने नेपाल और वहाँ के कवियों के प्रति आभार जताया और गोष्ठी में पधारे सभी नेपाली कवियों का परिचय कराया। नेपाली साहित्य के ज्ञाता एवं साहित्यिक संस्थाओं में कई पदों पर नियुक्त श्री राधेश्याम लेकाली की अध्यक्षता में हिंदी के स्वनामधन्य कवि-ग़ज़लकार श्री नन्दलाल रोशन, शायर जनाब शकील गोंडवी, दीनबन्धु कालेज के प्रो.सत्यप्रकाश तिवारी, नेपाली कवि श्री ऋषभ देव घिमिरे, श्री नारायण प्रसाद होमगाई एवं श्री विकास कार्की ने अपनी कविताओं से सुधी श्रोताओं को रसासिक्त किया। काव्य संध्या में अंतिम कवि के रूप में संयोजक और संचालक डा.गिरिधर राय ने अपनी विनोदी शैली में एक हास्य रचना सुना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अध्यक्ष श्री राधेश्याम ने नेपाली रामायण के रचनाकार भानुभक्त की जीवनी पर हिंदी में पुस्तक लिखने के लिए नेपाली समुदाय की ओर से लेखक-कवि प्रो.सत्य प्रकाश तिवारी के प्रति तथा सुंदर व्याख्यान के लिए डा.ऋषिकेश राय के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। काव्य लहरी के आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने अपनी एक कविता का पाठ भी किया। वरिष्ठ कवि डा.लखवीर सिंह निर्दोष नेे धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रेषक : भारतीय भाषा परिषद

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