कोलकाता । हिंदी के प्रसिद्ध कवि नागार्जुन की जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में वरिष्ठ और नए कवियों ने कविता पाठ किया और नागार्जुन की कविताओं पर कोलाज प्रस्तुत किया गया। यह दिन राष्ट्रीय स्तर पर कवि पर्व के रूप में मनाया जाता है। परिषद की अध्यक्ष डा. कुसुम खेमानी ने अपने संदेश में कहा कि नागार्जुन हिंदी और मैथिली के बीच एक सेतु की तरह हैं। उनकी स्मृति एक पावन पर्व है। श्रीमती विमला पोद्दार ने अतिथियों का स्वागत किया।
सबसे पहले आकस्मिक रूप से दिवंगत श्रीप्रकाश गुप्त को श्रद्धांजलि दी गई। प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि वे हिंदी अंचल के एक प्रमुख सांस्कृतिक व्यक्तित्व थे। वे प्रगति शोध संस्थान, सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन सहित कई संस्थाओं से जुड़े थे और हुगली में एक स्कूल स्टडी मिशन के प्रधान थे। उनका अचानक न होना हम सभी को काफी रिक्त कर गया है। डॉ. आशुतोष, रामनिवास द्विवेदी, राज्यवर्धन, प्रो. गीता दूबे, डा. राजेश मिश्र, मंजु श्रीवास्तव,विनोद यादव आदि ने इसे अपूरणीय क्षति बताते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
आयोजन के अध्यक्ष डॉ. शंभुनाथ ने अंत में कहा कि नागार्जुन जून के ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जन्मे थे। उनकी कविताओं में जेठ का ताप और पूर्णिमा का सौंदर्य है। खासकर आपातकाल की स्मृति दिलाने वाले दिन उन्हें याद करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की महत्ता को समझना है।
कवि पर्व पर यशवंत सिंह, सेराज खान बातिश, राजेश मिश्रा, अभिज्ञात, निर्मला तोदी, मनोज मिश्र, शिप्रा मिश्रा, इबरार खान, सूर्य देव रॉय, सुषमा कुमारी, आशुतोष राउत, नमिता जैन, रेशमी सेन शर्मा, नैन्सी पाण्डेय, प्रिया श्रीवास्तव और राज घोष ने कविताओं का पाठ किया तथा सुषमा कुमारी,पूजा गौंड़, ज्योति चौरसिया, अदिति दूबे, कंचन भगत, मधु साव, नंदिनी साहा, आदित्य तिवारी, कुसुम भगत और संजना जायसवाल ने नागार्जुन की कविताओं पर कोलाज प्रस्तुत किया। निर्देशन मनीषा गुप्ता ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो. संजय जायसवाल और धन्यवाद ज्ञापन घनश्याम सुगला ने किया।