भारतीय भाषा परिषद और खिदिरपुर कॉलेज ने मनायी प्रेमचन्द जयंती

भारतीय भाषा परिषद और खिदिरपुर कॉलेज के सह आयोजन में हाल ही में प्रेमचंद जयंती मनायी गयी। इस अवसर पर प्रेमचंद के संबंध में विचार व्यक्त करते हुए कहा गया कि प्रेमचंद भारत में एक बनते हुए महान राष्ट्र के साक्षी थे जबकि आज हर तरफ पुल की जगह खाइयां पैदा की जा रही हैं। उनकी रचनाएं ‘ईदगाह’, ‘रंगभूमि’ और ‘गोदान’ में आज भी प्रेरित करती हैं। वे हिंदी और उर्दू के बीच हमारे समय के सबसे बड़े पुल हैं। प्रेमचंद और आज के सवाल पर हुई चर्चा में लगभग बीस कॉलेजों और विभिन्न विश्‍वविद्यालयों के विद्यार्थियों और शोधार्थियों और शिक्षकों ने अपने वक्तव्य रखे। उनमें स्त्रियों की संख्या का ज्यादा होना यह साबित करने के लिए काफी था कि इस समय वे कितनी मुखर और स्वंतत्रता के लिए कितनी बेचैन हैं। रांची विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर अरुण कुमार ने इसे प्रेमचंद के साहित्य की विजय के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि प्रेम और वैचारिक स्वतंत्रता के बीच गहरा संबंध है जिसे आज मिटाने की कोशिश की जा रही है। सेठ सूरजमल जालान गर्ल्स कॉलेज की प्रो. मधुलता गुप्त ने कहा कि प्रेमचंद एक मानवतावादी कथाकार थे और आज राष्ट्रवाद और मानवतावाद को जोड़ने की बहुत जरूरत है। प्रो. शहनाज नबी ने प्रेमचंद को एक महान कथाकार बताते हुए कहा कि प्रेमचंद उर्दू और हिंदी की एकता के प्रतीक हैं। प्रेसिडेंसी विश्‍वविद्यालय के प्रो. वेदरमण ने कहा कि प्रेमचंद ने किसानों का जो प्रश्‍न अपने कथा साहित्य उठाया था वह आज फिर महत्वपूर्ण हो गया है। खिदिरपुर कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. इतु सिंह ने प्रेमचंद के पुनर्मूल्यांकन की जरूरत बताते हुए कहा कि  आज हम जिन समस्याओं से घिरे हुए हैं प्रेमचंद का कथा साहित्य उनसे बाहर निकलने का मार्ग दिखाता है। बिहार केंद्रीय विश्‍वविद्यालय के प्रो. कफील अहमद नसीम ने बताया कि प्रेमचंद के कथा साहित्य के केंद्र में स्त्री और दलित हैं जो आज के विमर्शों के लिए रोशनी का काम करते हैं।  इस अवसर पर अपना अध्यक्षीय वक्तव्य देते प्रो. शंभुनाथ ने कहा कि प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ बाजारवाद के विरुद्ध विद्रोह है। यह बनावटी वस्तुओं की जगह हामिद के चिमटा की तरह की जरूरी वस्तुओं को चुनने की शिक्षा देती है। हमारा युग जब ‘सादा जीवन उच्च विचार’ से कृत्रिम जीवन निम्न विचार की ओर बढ़ रहा है प्रेमचंद का कथा साहित्य सादगी, सहिष्णुता और मानवता के आलोक स्तंभ की तरह दिखाई देता है। परिषद की अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी, खिदिरपुर कॉलेज की डॉ. दीबा हाशमी और परिषद के मंत्री नंदलाल शाह ने अतिथियों का स्वागत किया। दो सत्रों के आयोजन का संचालन किया ज़ोहेब आलम और डॉ. अर्चना पांडेय ने। भाषण प्रतियोगिता में सगुफ्ता जहां (आलिया यूनिवर्सिटी), गायत्री कुमारी (बंगवासी कॉलेज), रुखसाना परवीन (मटियाबुर्ज कॉलेज) ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया।

 

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