कोलकाता : भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के विद्यार्थियों ने छऊ लोकनृत्य कार्यशाला में भाग लिया। छऊ नृत्य मयूरभंज उड़ीसा का लोकनृत्य है जिसमें मार्शल आर्ट्स का का प्रयोग होता है। इसके अलावा पुरुलिया पश्चिम बंगाल और सेराइकला बिहार के मुखौटा नृत्य आदि को भी कार्यशाला में सिखाया गया। इस कार्यशाला में छऊ लोकनृत्य की विशेषज्ञ डॉ. शैली पॉल ने विद्यार्थियों को छऊ लोकनृत्य के कई प्रकारों को सिखाया। ढाई घंटे चलने वाली इस कार्यशाला में छब्बीस छात्र छात्राओं ने भाग लिया। कॉलेज में लोकनृत्य को बढ़ावा देने के लिए प्रो दिलीप शाह और कोऑर्डिनेटर प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी कार्यशाला के आयोजन के लिए पहल की।
डॉ शैली ने बताया कि बहुत से लोकनृत्य लुप्तप्राय होते जा रहे हैं। आज आवश्यकता है कि युवा पीढ़ी को भारतीय लोकनृत्य के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए। छऊ नृत्य के लिए सरकारी प्रतिष्ठान छावनी कार्य कर रहे हैं। सेराइकला नृत्य बिहार का प्रमुख मुखौटा नृत्य है। बिहार सरकार भी लोकनृत्य को प्रोत्साहित कर रही है। पुरुलिया पश्चिम बंगाल में लोकनृत्य के लिए किसी भी तरह का सरकारी सहयोग नहीं दिया जा रहा है। डॉ. शैली ने छऊ लोकनृत्य पर पीएच.डी की डिग्री प्राप्त की है। विद्यार्थियों को इस नृत्य के कई प्रकारों जैसे युद्ध से संबंधित सिंदूर पिंधा हल्दी बाटा, गुट्टि ऊट्ठा, गोबर गुला, प्रकृति से संबंधित वॉक छाली, मयूर छाली, घारा तल्का, बाग दुमका आदि के विषय में दी। इस कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ. वसुंधरा मिश्र ने ।