कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज और सुलेखा वर्क लिमिटेड, सुलेखा पार्क के संयुक्त तत्वावधान में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जादवपुर कोलकाता में स्थित सुलेखा फैक्ट्री के प्रांगण में हुए इस कार्यक्रम में भवानीपुर कॉलेज के डीन प्रो दिलीप शाह, कोऑर्डिनेटर प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी, छपते छपते हिंदी दैनिक कोलकाता के प्रधान संपादक और ताजा टीवी के डायरेक्टर विश्वंभर नेवर, आनंदबाजार पत्रिका के प्रधान संपादक सुपर्ण पाठक विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर सुलेखा स्याही के मालिक कौशिक मोइत्रा द्वारा नयी निर्मित स्वराज इंक प्रस्तुत किया गया। वरिष्ठ संपादक विश्वंभर नेवर ने सुलेखा स्याही के विषय पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि सुलेखा स्याही पुराने दिनों की याद ताजा करती है। वर्तमान में फाउन्टेन पेन ने बॉल पेन का स्थान ले लिया है। सुलेखा इंक वैसा ही परिचित नाम है जैसे बाटा, डनलप आदि। आज सौ वर्षों के बाद भी सुलेखा स्याही की पहचान है।
आनंद बाजार पत्रिका के संपादक सुपर्ण पाठक ने कहा कि आज भी सुलेखा कई लोगों की पसंदीदा स्याही है। उनके पॉकेट में अभी भी फाउंटेन पेन रहता है। सुलेखा फैक्ट्री के मालिक कौशिक मोइत्रा ने बताया कि सुलेखा स्याही उनके दादा चलाते थे आज उन्हीं की इच्छा को पूरा करने के लिए सुलेखा स्याही की फैक्ट्री को पुनर्जीवित किया गया है। गांधीजी के सिद्धांत सुलेखा स्याही से जुड़े हुए हैं जो स्वराज और स्वाधीनता और देशप्रेम से जुड़े हैं। गांधी जी के सिद्धांत से अनुप्रेरित होकर खादी और ग्राम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मोइत्रा ने सुलेखा स्याही का उत्पादन शुरू किया है। 25 से अधिक स्त्रियों को रोजगार उपलब्ध कराया है। साथ ही, फैक्ट्री में सोलर पावर प्लांट से बिजली व्यवस्था की गई है जो पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने का महत्वपूर्ण कदम है। प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी ने स्याही और फाउंटेन पेन से जुड़े बचपन के अनुभवों को साझा किया। इस अवसर पर डॉ वसुंधरा मिश्र ने ‘युद्ध और शांति’ कविता सुनाई। चॉम सर शुभव्रत गांगुली , ज्योत्स्ना अगिवाल, अहाना मोइत्रा द्वारा संयोजित यह कार्यक्रम पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है । चॉम सर ने सुलेखा अकादमी के द्वारा कोलकाता के स्कूलों के बच्चों को लेकर सुलेख प्रतियोगिता भी कराने का प्रस्ताव दिया। इस कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।