मान्यता है 20 फीट ऊंची शिला पर करते थे विश्राम
चित्रकूट से भरतकूप जाने पर बीच में चित्रकूट पर्वत पर एक विशाल चट्टान दिखाई देगी। नाम है- राम शैया। मान्यता है कि यहां पर वनवास के दौरान भगवान राम और माता सीता रात्रि विश्राम किया करते थे। चट्टान पर दो निशान दिखाई देते हैं। पहले निशान की लंबाई 15 फीट और दूसरे की 11 फीट है। माना जाता है कि यहीं पर भगवान राम और माता सीता लेटते थे, जिसकी वजह से निशान बन गए हैं।
यह जगह कामदगिरि से 2 किमी दूर है। लखनऊ से यह स्थान 300 किमी दूर है। उस शिला के दर्शन किए, जिसे राम-सीता के शयन का स्थान बताया जाता है। यहां के मुख्य पुजारी से बात कर शिला से जुड़ा इतिहास भी जाना। आइए आपको भी वहीं ले चलते हैं…
जहां राम-सीता लेटते थे, वहां की चट्टान उसी आकार की हो गई
राम शैया के मुख्य पुजारी पंडित बढ़कू द्विवेदी ने बताया, “राम मर्यादा बनाए रखने के लिए सीता और अपने बीच तरकश रखा करते थे। माता सीता श्रीराम के दाईं तरफ सोती थीं। ये चट्टान उनके आकार में ही पिघली हुई है। दोनों के बगल में रखे धनुष की छवि आज भी चट्टान पर दिखती है।”पुजारी कहते हैं, “तुलसीदास रचित रामायण में यह कहा गया है कि जब राम के छोटे भाई भरत उनसे मिलने चित्रकूट आए, तब रात में वह राम शैया स्थान पर भी मां सीता और राम से मिले थे। उनसे मिलकर वहीं से वह आगे भरतकूप चले गए थे।”
दिन कामतानाथ पर्वत पर और रात चित्रकूट गिरि में बिताते थे राम
वह बताते हैं, ”चित्रकूट में वनवास के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण पूरा दिन कामतानाथ पर्वत पर बिताते थे। वहां उनसे मिलने बड़े-बड़े ऋषि और महात्मा आते थे। मुनियों से मुलाकात करने के बाद रात में राम-सीता कामदगिरि से 2 किमी दूर चित्रकूट गिरि पर मौजूद एक बड़ी चट्टान पर विश्राम करने आ जाते थे। उनके छोटे भाई लक्ष्मण पहाड़ी पर चढ़ जाते थे। वहां से रात भर सीता और राम की सुरक्षा करते थे।”
चित्रकूट पर्वत पर हैं 3 हजार नीम के पेड़
राम शैया पर्वत की रखवाली का जिम्मा यहां से सटी ग्राम पंचायत बिहारा के लोगों पर है। बिहारा के रहने वाले जीतेंद्र ने बताया, “राम शैया की देख-रेख के लिए गांव के सभी लोग सहयोग करते हैं। यहां के परिक्रमा मार्ग के सुधार और साफ-सफाई का ध्यान दिया जाता है।”
जीतेंद्र आगे कहते हैं, “पूरे पर्वत पर 3000 से ज्यादा नीम के पेड़ हैं, जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इन पेड़ों को यहां किसी ने रोपा नहीं है, खुद ही उगे हैं। राम शैया के पास धर्म-दीन मंदिर है। यहां आने वाले पर्यटक रुककर विश्राम करते हैं। यहां समय-समय पर भजन-कीर्तन भी होते रहते हैं।”दशहरे पर होता है रावण दहन, आते हैं 50 गांव के लोग
दशहरे पर राम शैया स्थान को एक हफ्ते पहले से सजाया जाता है। यहां रावण का विशाल पुतला बनाकर जलाया जाता है। बिहारा गांव के लवकुश कहते हैं, “शारदीय नवरात्र के बाद दशहरे के दिन राम शैया के पास रावण दहन किया जाता है। यहां उसी दिन भंडारा भी होता है, जिसमें शामिल होने आस-पास के 50 गांव के लोग आते हैं।”
(साभार – दैनिक भास्कर)