बोलते अवशेष

कहते हैं कि जो अपने इतिहास को जानता है, अतीत से सीखता है..वही आत्मविश्वास से परिपूर्ण होता है। हम सब जानते हैं कि हमारे महाख्यान, पुराण, उपनिषद…सब वास्तविकता के धरातल पर मौजूद हैं। इसके बावजूद इन सबको मिथक कहकर उड़ा देने का चलन है..मगर इनका होना एक वास्तविकता है…। यह न सिर्फ हमारा इतिहास, हमारा विश्वास और धरोहर हैं बल्कि इनका संरक्षित होना आज के युग में हमारी आवश्यकता है। कोई भी प्रलाप तभी तक टिकता है, जब तक उसके सामने तथ्य सामने न हों…तो आज जरूरत है कि भ्रमजाल में उलझाकर रखने वाली विचारधाराओं के सामने हम तथ्य लायें…ऐसे तथ्य जो हमारे आस -पास परम्पराओं, मन्दिरों, ऐतिहासिक स्थलों, आश्रमों..समेत कई रूपों में उपस्थित हैं। हम सब जानते हैं कि इनका संरक्षण आवश्यक है और संरक्षण तब होगा जब इनको हम सामने लाएँगे…संरक्षण की आवाज उठाएँगे…यह सिर्फ सरकार के वश की बात नहीं है मगर इनका संरक्षण न सिर्फ इतिहास बचा सकता है बल्कि स्थानीय हस्तशिल्प और पर्यटन समेत कई क्षेत्रों को विकसित कर सकता है और यह काम कॉरपोरेट क्षेत्र, संस्थान और मंदिर भी सरकार के सहयोग से कर सकते हैं। इनका संरक्षण हमारा दायित्व है….क्योंकि जिन्होंने इन सबको बनाया होगा….वे हमारे और आपके पूर्वज हैं।
आज का युग सोशल मीडिया का युग है…मोबाइल पर वीडियो से लेकर आलेख, तस्वीरों, टिक – टॉक और तस्वीरों और वीडियो का युग है और यही आपके अस्त्र – शस्त्र हैं तो इनको उठाइए….और आपके पास अगर ऐसे स्थल, मंदिर, परम्पराएँ हैं जो प्राग्ऐतिहासिक हैं.,,,जिनका सम्बन्ध रामायण या महाभारत समेत अन्य आख्यानों या इस देश के इतिहास से किसी न किसी रूप से है….लिख डालिए या बना डालिए। सोशल मीडिया पर शुभजिता या shubhjita.com या शुभ सृजन नेटवर्क को टैग कर दीजिए। हम आपकी तथ्यपरक, अन्धविश्वास मुक्त जानकारी को अपनी वेबपत्रिका तथा शुभजिता यू ट्यूब चैनल में विश्वास/ धरोहर या मेरी जान हिन्दुस्तान में स्थान देंगे…और आपके पूरे परिचय के साथ सचित्र देंगे…यह एक श्रृंखला है…जिसे आप साझा कर सकते हैं…आप चाहें जहाँ से हैं…किसी गाँव…शहर…कस्बे से हैं…आपने देखा है…घूम आए हैं… और आपके पास सुझाव हैं…तो वह भी बता सकते हैं। कल वो आपके लिए आए थे…आज आपको उनके लिए उठना है…हम सबको उठना है और सारी दुनिया को दिखाना है हमारा अतीत…भव्यता और उसके भावी पीढ़ी तक ले जाना है…। मन बहुत मसोस लिया…दुःखी बहुत हो चुके…अब कहने या लड़ने की नहीं करने की बारी है। आइए,…इस धरोहर संरक्षण को एक मुहिम बनाएँ…जिससे प्रशासन और सक्षम क्षेत्र इस दिशा में आगे आएँ….क्योंकि अब खंडहर देंगे प्रमाण
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शुभजिता

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