नई दिल्ली : हवाई सफर करने वाले अब बिना किसी शुल्क के 24 घंटे के भीतर टिकट कैंसिल कर सकते हैं। हालांकि शर्त यह है कि फ्लाइट की उड़ान के निर्धारित समय में 4 घंटे का समय बाकी होना चाहिए।
हवाई सफर करने वाले यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। विमानन मंत्रालय द्वारा दिए गए प्रस्ताव के मुताबिक यदि कोई यात्री टिकट बुकिंग करने के 24 घंटे के भीतर ही टिकट कैंसिल करता है, तो उसे कोई शुल्क नहीं देना होगा। हालांकि शर्त यह हैं कि फ्लाइट की उड़ान के निर्धारित समय में 4 दिन बाकी होने चाहिए। विमानन मंत्री जयंत सिन्हा ने ये जानकारी दी। साथ ही पैसेंजर चार्टर का ड्राफ्ट जारी करते समय सरकार ने ये भी कहा कि कैंसिलेशन फीस किसी भी हालत में बेस फेयर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। डीजीसीए के डीजी बीएस भुल्लर ने कहा कि पहले ट्रेवल एजेंट की कैंसिलेशन फीस बेस फेयर से ज्यादा होती थी। नए चार्टर के मुताबिक ये फीस एजेंट की कैंसिलेशन फीस मिलाकर भी बेस फेयर से ज्यादा नहीं होगी।
इस बारे में बात करते हुए एविएशन सेक्रेटरी आर एन चौबे ने कहा कि ये ड्राफ्ट 1 महीने में तैयार हो जाएगा। इसके अलावा फ्लाइट में वाईफाई के सवाल पर चौबे ने कहा कि टेलीकॉम मंत्रालय एक हफ्ते के भीतर लाइसेंस की शर्तों पर फैसला करेगा। यात्री 2 महीने के भीतर फ्लाइट में वाईफाई की सुविधा का उपयोग कर सकेंगे।
नए नियमों के मुताबिक अगर मूल शेड्यूल से 24 घंटे पहले फ्लाइट की देरी की जानकारी दी जाती है और फ्लाइट 4 घंटे से ज्यादा लेट है, तो एयरलाइंस को यात्री को टिकट का पूरा रिफंड देने का विकल्प देना होगा। अगर फ्लाइट देरी के कारण अगले दिन उड़ती है, तो यात्रियों को फ्री में होटल की सुविधा देनी होगी। अगर फ्लाइट लेट होने के कारण यात्री की कनेक्टिंग फ्लाइट छूट जाती है तो एयरलाइंस को पेनल्टी देनी होगी। ये पेनल्टी 20 हजार रुपए तक हो सकती है।
पहली बार सरकार ने टारमेक (tarmac) का नियम लागू किया है। अगर किसी कारण से फ्लाइट 2 घंटे से ज्यादा खड़ी रहती है यात्रियों को फ्लाइट से उतारना होगा। अगर फ्लाइट 1 घंटे से ज्यादा खड़ी रहती है तो एयरलाइंस को यात्रियों को खाने-पीने का सामान देना होगा। इसके अलावा ड्राफ्ट में प्रस्ताव है कि दिव्यांग के लिए फ्लाइट में पर्याप्त लेग स्पेस के साथ ही फ्री रिजर्व सीट भी होना चाहिए। वहीं दूसरी ओर एयरलाइंस इस तरह के बदलाव का विरोध कर रही थी। आपको बता दें कि अभी ये विमानन मंत्रालय का प्रस्ताव हैं, इस प्रस्ताव पर जनता के सुझावों के लिए 30 दिन तक का समय दिया गया है। इस प्रस्ताव पर फैसला 15 जुलाई तक लिया जा सकता है।