सुपौल। सुपौल जिले के जदिया थाना क्षेत्र की गुड़िया पंचायत में जमाने से मृत्यु भोज के मौके पर एक रुपये में आठ लीटर दूध देने की परंपरा आज भी कायम है। इस परंपरा की शुरुआत कब हुई और किसने की इस बात पर ग्रामीण एक मत नहीं हैं किंतु आज भी पंचायत के अंदर इस परंपरा का निर्वहन सख्ती के साथ किया जा रहा है।
गुड़िया पंचायत के बारे में ग्रामीणों का कहना है यह पंचायत शुरू से बेहतर खेती तथा पशुपालन के लिए क्षेत्र में मशहूर है। यहां के 90 फीसद लोग बेहतर तरीके से खेती करते हैं तथा आज भी यहां के लोगों की पशुपालन में काफी दिलचस्पी है। यही कारण है कि यहां काफी मात्रा में दूध का उत्पादन होता है। शायद यही कारण भी रहा होगा कि किसी जमाने में यहां आपसी समझौते के तहत मृत्यु भोज में सामाजिक योगदान को लेकर यह परंपरा चलाई गई हो और यह प्रथा दस की लाठी एक बोझ साबित हुआ हो। इसलिए यहां के पशुपालकों को मृत्यु भोज में एक रुपये में आठ लीटर दूध देने की पाबंदी है। इसका इतनी कड़ाई से पालन किया जाता है कि अगर किसी पशुपालक द्वारा मृत्यु भोज में दूध उपलब्ध नहीं कराया जा सका हो या फिर बहाना बनाया गया हो तो भोज के दौरान उन्हें खाने-पीने की सारी वस्तु उपलब्ध कराई जाती है किंतु दही देने के वक्त उनके पत्ते में एक रुपये का सिक्का रख दिया जाता है। लज्जित होने के डर से सभी लोग निष्ठापूर्वक अपना-अपना योगदान अवश्य देते हैं।
मुखिया वीणा देवी का कहना है कि इस प्रथा के कारण आज भी पंचायत में न सिर्फ भाईचारा का माहौल बना हुआ है बल्कि पंचायत अंतर्गत गरीब से गरीब व्यक्ति को भी आयोजन करने में दूध की किल्लत महसूस नहीं होती है। सामाजिक कार्यकर्ता रणधीर यादव का कहना है कि इस परंपरा से न सिर्फ सामाजिक सरोकार को बल मिल रहा है बल्कि शोकाकुल परिवार को समाज की तरफ से थोड़ी बहुत आर्थिक मदद भी मिल जाती है।
बता दें कि गुड़िया पंचायत में पशुपालकों की संख्या दो हजार से भी ज्यादा है। लगभग डेढ़ महीने पूर्व पंचायत के वार्ड नंबर 08 निवासी ज्ञानी यादव की मौत हुई, 06 महीना पूर्व पंचायत के लबढी निवासी विशेश्वर यादव की मौत हुई, एक वर्ष पूर्व वार्ड नंबर 02 निवासी कामेश्वर यादव की मौत हुई, दो वर्ष पूर्व सुरेंद्र यादव की मौत हुई थी। इन सभी लोगों के मृत्यु भोज में इस परंपरा की निर्वहन करते हुए एक रुपये में आठ लीटर दूध दिया गया।