बाल विवाह रोकने के लिए राज्य सरकारें आयु प्रमाणपत्र की अनिवार्यता सुनिश्चित करें: एनसीपीसीआर

नयी दिल्ली: देश में कई स्थानों पर बाल विवाह निरोधक कानून-2006 का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाने पर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग :एनसीपीसीआर: ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी रोकने के लिए समाज के विभिन्न स्तरों पर आयु प्रमाणपत्र की अनिवार्यता सुनिश्चित करें।

एनसीपीसीआर के सदस्य यशवंत जैन ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘बाल विवाह विरोधी कानून का इतने वषरें बाद भी प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाना चिंता का विषय है। ऐसे में हमने राज्यों से कहा है कि शादी होने की स्थिति में आयु प्रमाणपत्र की अनिवार्यता सुनिश्चित की जाए। ऐसी व्यवस्था की जाए कि पंडित, मौलाना, पादरी या बारात घर के जिम्मेदार लोग शादी की स्थिति में लड़के और लड़की के आयु प्रमाणपत्र मांगे। इससे बाल विवाह पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।’’ बीते 25 अप्रैल को एनसीपीसीआर ने बाल विवाह निरोधक कानून के प्रभावी क्रियान्वयन से जुड़े मुद्दों की पहचान के लिए एक कानूनी विचार-विमर्श बैठक का आयोजन किया था जिसमें विधि एवं न्याय मंत्रालय, विधि आयोग और कुछ विधि संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।
आयोग ने इस संबंध में विचार-विमर्श के लिए फरवरी में तेलंगाना के हैदराबाद और आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में बैठकों का आयोजन किया था।
जैन ने कहा, ‘‘आंध्र प्रदेश में हमने देखा कि पंचायतों के स्तर पर शादी का पंजीकरण हो रहा है और बाल विवाह रोकने में इसका सकारात्मक प्रभाव दिख रहा है। इसमें मुख्य कारण आयु प्रमाणपत्र की अनिवार्यता है।

 

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