पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगलाज माता मंदिर है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहीं माता सती का सिर गिरा था। ये मंदिर मकरान रेगिस्तान की खेरथार पहाड़ियों के अंत में है। मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है, जहाँ एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक शिला रूप में हिंगलाज माता की आकृति उभरी हुई है।
इसे नानी का घर भी कहा जाता है
हिंगलाज माता मंदिर बलूचिस्तान के जिस इलाके में है, वहाँ पहुंचना काफी कठिन है। रास्ता दुर्गम है और सड़कें भी खराब हैं। नवरात्रि में सिंध- कराची से हजारों हिंदू 500 किमी तक की पैदल यात्रा करके यहां आते हैं। यहां एक शिला पर हिंगलाज माता की छवि उभरी हुई है। मंदिर में कोई दरवाजा भी नहीं है। हर साल दोनों नवरात्र में विशेष मेला लगता है। हिंगलाज माता को बलूचिस्तान और सिंध के मुस्लिम भी मानते हैंं। स्थानीय लोग देवी को कई नामों से बुलाते हैं, जिनमें कोट्टरी, कोट्टवी, कोट्टरिशा शामिल हैं। मुस्लिम भक्त इसे नानी या बीबी नानी कहते हैं।
भगवान राम ने भी किए थे यहां माँ के दर्शन
हिगंलाज गुफा जिस इलाके में है, वहां तीन ज्वालामुखी हैं। इन्हें गणेश, शिव और पार्वती के नाम से जाना जाता है। कराची से तकरीबन 250 किमी दूर स्थित इस मंदिर में भगवान राम ने भी दर्शन किए थे। उनके अलावा गुरु गोरखनाथ, गुरुनानक देव, दादा मखान जैसे आध्यात्मिक संत भी यहां आ चुके हैं। हिंगलाज देवी, हिंदू खत्री समुदाय की कुलदेवी भी हैं। एक अनुमान के अनुसार, भारत में इनकी आबादी 1.5 लाख है और इनमें 80% राजस्थान और गुजरात में हैं।