बच्चों में जीतने की ललक पैदा करना जरूरी है : लक्ष्मी रतन शुक्ला

कोलकाता : शिक्षा बेहद आवश्यक है और वह किताबों से आगे जाकर निजी अनुभवों से मिलती है। राज्य के युवा एवं क्रीड़ा राज्य मंत्री तथा पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला 7वें ओसवाल बुक्स राउंड टेबल का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि समर्पण और संघर्ष से परिवर्तन लाया जा सकता है और बच्चों में जीतने की ललक उत्पन्न करना हमारा काम है और यह करने का सही समय स्कूल के दौरान ही है। उन्होंने कहा कि हम सब परिवर्तन की बात करते हैं मगर सही मायनों में बदलाव तभी होगा जब हम खुद आगे बढ़ेंगे। नवोन्मेषी शिक्षण को लेकर आयोजित यह परिचर्चा स्कूली शिक्षा पर केन्द्रित थी। परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए पूर्व सांसद व पत्रकार चन्दन मित्रा ने पाठ्यक्रम में पर्यावरण जागरुकता को शामिल करने पर विशेष जोर दिया और कहा कि बच्चों को इस योग्य बनाने की जरूरत है कि चुनौतियों का सामना करना सीख सकें। राज्य के स्कूल शिक्षा आयुक्त डॉ. सौमित्र मोहन ने कहा गुणवत्ता की समस्या सरकारी स्कूलों में ही नहीं बल्कि निजी शिक्षण संस्थानों में भी है। देश के विभिन्न क्षेत्रों के 95 प्रतिशत सफल लोग सरकारी स्कूलों से ही निकले हैं। समस्या यह है कि सरकारी और निजी स्कूलों की संरचना में अन्तर है। बंगाल में शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया जा रहा है। इस समय राज्य में 5 लाख शिक्षक और 64 हजार स्कूल हैं। स्कूली शिक्षा को आनन्ददायक बनाने की जरूरत है और इस प्रक्रिया में बच्चों को शामिल करना जरूरी है।
इस मौके पर ओसवाल बुक्स के मार्केटिंग निदेशक प्रशान्त जैन ने कहा कि बंगाल में बच्चे काफी प्रतिभाशाली हैं। शिक्षण प्रणाली में थोड़ा सा बदलाव लाकर परिवर्तन किया जा सकता है। इसके लिए बहुआयामी अनुशासनात्मक दृष्टिकोण, प्रतिभा की पहचान, कक्षा में योजनाबद्ध पाठ, विद्यार्थी केन्द्रित पाठ्य पुस्तकें सहायक साबित हो सकती हैं।
ओसवाल बुक्स राउंडटेबल का यह सातवाँ संस्करण था। इस मौके पर फोरम फॉर इंडियन जर्नलिस्ट्स ऑन एजुकेशन, एन्वायरन्मेंट, हेल्थ एंड एग्रीकल्चर (फिजिहा) के अक्ष्यक्ष डॉ. नवनीत आनन्द तथा ओसवाल बुक्स की एडिटोरियल डायरेक्टर स्वाति जैन ने भी विचार रखे। इस अवसर कई शिक्षकों को सम्मानित भी किया गया।

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