शुभजिता फीचर डेस्क
बंगाल की शिक्षा व्यवस्था इन दिनों बेपटरी हो गयी है। पढ़ाने वाले सड़कों पर हैं और पढ़ने वाले संशय में दो पाटन के बीच पिस रहे हैं । बतौर पत्रकार शिक्षा बीट की ही खबरें की हैं और खूब की हैं। उन दिनों संवाददाता सम्मेलन होते थे तो वहां भी जाती थी और बहुत कुछ ऐसा था जिसका कारण तब समझ नहीं सकी मगर अब बात समझ रही है। 2011 के पहले भी आन्दोलन होते रहे हैं। शिक्षक सड़कों पर उतरे हैं। ऐसा नहीं है कि वाममोर्चा सरकार दूध की धुली थी मगर भ्रष्टाचार का जो घिनौना रूप अब देखने को मिल रहा है तब शायद सामने नहीं आ सका था। जो भी हो..भ्रष्टाचार की चक्की में पिसना तो निरपराधों को है। एक तरफ देश की संसद है जहां दागी भी जेल से चुनाव लड़ रहे हैं, एक बार में ही माननीयों की तनख्वाह लाखों रुपये हो जा रही है और दूसरी तरफ हमारे देश के भविष्य का निर्माण करने वाले असंख्य युवा हैं जिनके मुंह से वह रोटी भी छीनी जा रही है जिसे उन्होंने अपनी मेहनत से अर्जित किया है। 26 हजार नौकरियां मतलब 26 हजार परिवारों का भविष्य दांव पर लग जाना और हजारों स्कूलों की व्यवस्था का बेपटरी हो जाना..यह खेल नहीं है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए लगभग 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया। ये नियुक्तियां 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन के माध्यम से की गई थीं, जिनके चयन में धोखाधड़ी पाई गई। कोर्ट ने कहा कि जिन उम्मीदवारों को गलत तरीके से नौकरी मिली उन्हें अब तक का वेतन भी लौटाना होगा। फैसले में कहा गया कि योग्य और अयोग्य के बीच अंतर करना संभव नहीं है। जिन लोगों को 2016 में नौकरी मिली थी, वे नई भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकेंगे। जो लोग अन्य सरकारी नौकरियां छोड़कर 2016 एसएससी के माध्यम से स्कूल की नौकरियों में शामिल हुए थे, वे अपनी पुरानी नौकरियों में वापस आ सकेंगे। जिन लोगों को अयोग्य घोषित किया गया है, वे अब परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे। उन्हें 12 प्रतिशत की दर से ब्याज सहित अपना वेतन लौटाने को कहा गया है। अभी भी इस बात को लेकर कुछ स्पष्ट समझ नहीं है कि चयन प्रक्रिया किस प्रकार संचालित की जाएगी तथा कौन परीक्षा में बैठ सकेगा। स्कूल नियुक्ति घोटाले की सुनवाई कर चुके पूर्व न्यायाधीश व भाजपा सांसद अभिजीत गांगुली का मानना है कि योग्य व अयोग्य उम्मीदवारों को अलग करना सम्भव है। अब जब कि एसएससी ने शिक्षा विभाग को योग्य व अयोग्य की सूची भेज दी है तो सवाल वहीं का वहीं है, यह पहले ही क्यों नहीं किया गया? आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि सुप्रीम कोर्ट को यह सूची पहले नहीं सौंप दी गयी? अगर ऐसा होता तो सम्भवतः हजारों युवाओं की रोजी – रोटी पर लात न पड़ती। दरअसल सत्य तो यह है कि कुछ नेताओं को बचाने के लिए जबरन योग्य व अयोग्य का खेल खेला जा रहा है। आखिर कौन सी परेशानी है कि योग्य के साथ आप अयोग्य शिक्षकों को लेकर चलने को इतनी आतुर हैं। आखिर 5 हजार अयोग्य उम्मीदवारों की इतनी चिंता क्यों है कि आप 20 हजार योग्य शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं। कारण है और कारण यह है कि सत्तारूढ़ दल के सिपहसालारों ने नौकरियां बेची हैं। एक – एक नौकरी 5 लाख से 15 लाख तक में बेची गयी है और निश्चित रूप से मलाई सबने खायी है। इस बात का खुलासा सीबीआई की चार्जशीट में हुआ है और अप्रत्यक्ष रूप से ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का नाम भी सामने आया है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा, “हमारी राय में, पूरी चयन प्रक्रिया धोखाधड़ी से दूषित हो चुकी है और इसे ठीक नहीं किया जा सकता।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन उम्मीदवारों को नियुक्ति मिली थी, उन्हें अब तक प्राप्त वेतन वापस नहीं करना होगा, लेकिन उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। इस फैसले से न केवल नियुक्ति प्राप्त करने वाले शिक्षकों के भविष्य पर संकट गहरा हो गया है, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को भी गंभीर धक्का लगा है। कोर्ट ने नए चयन के लिए तीन महीने के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। अब इस बात की गारंटी कौन लेगा कि नयी नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी होगी? इस मामले में सीबीआई जांच का महत्वपूर्ण रोल रहा है। सीबीआई ने खुलासा किया कि ओएमआर शीट्स में भारी हेरफेर किया गया था, जिससे कई अयोग्य उम्मीदवारों को भर्ती में शामिल किया गया। इन असमानताओं ने इस चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। सीबीआई ने पाया कि एसएससी के सर्वर और एनवाईएसए के पूर्व कर्मचारी पंकज बंसल के सर्वर के डेटा में असमानताएं थीं, जिससे चयन में गड़बड़ी का पता चला।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंगाल में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को दोषपूर्ण और भ्रष्ट करार देने के फैसले के बाद नौकरी गंवाने वाले 25,753 शिक्षकों में से कुछ ने गुरुवार को कोलकाता के साल्टलेक में राज्य स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी थी और पुलिस पर असहयोग का आरोप लगाते हुए शिक्षक भूख हड़ताल समाप्त कर चुके हैं। प्रदर्शनकारी शिक्षकों को समर्थन देने के लिए भाजपा सांसद और कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय भी धरनास्थल पर पहुंचे। मालूम हो कि कसबा में डीआई कार्यालय के बाहर बुधवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इसमें कई शिक्षकों के साथ छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। भाजपा सांसद ने बताया कि वह पूर्व राज्यसभा सदस्य रूपा गांगुली के साथ धरनास्थल पर आए थे ताकि प्रभावित शिक्षकों और कर्मचारियों के प्रति एकजुटता जताई जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस कार्रवाई के विरोध में वह शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से मिलने नहीं गए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 8 अप्रैल को 25 हजार 753 टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति रद्द करने के मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखी। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि जो लोग निर्दोष हैं, उन्हें नौकरी में बने रहने देना चाहिए।
घोटाले की बात करें तो शिक्षक नियुक्ति घोटाले में 5 से 15 लाख रुपये तक की घूस लेने का आरोप है। मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट को कई शिकायतें मिली थीं। भर्ती में अनियमितताओं के मामले में सीबीआई ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी और एसएससी के कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। पार्थ की गिरफ्तारी के 5 दिन बाद ममता बनर्जी ने उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था। पार्थ पर आरोप है कि मंत्री रहते हुए उन्होंने नौकरी देने के बदले गलत तरीके से पैसे लिए। इस मामले में 16 फरवरी 2024 तक पार्थ चटर्जी के करीबियों के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की थी। अर्पिता पेशे से मॉडल थीं। पश्चिम बंगाल के 2016 एसएससी घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद 25752 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरी चली गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि बोलने पर उन्हें जेल भी हो सकती है, लेकिन वह बोल रही हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी साथ देने से इंकार नहीं कर सकता। ममता ने कहा की सर्वोच्च न्यायालय हमें यह नहीं बता सका कि कौन योग्य है और कौन अयोग्य है। विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए ममता ने कहा कि खेल 2022 में शुरू हुआ। जिनके पास नौकरी देने की ताकत नहीं है, उन्होंने नौकरियां छीन ली हैं। चेहरा और मास्क अलग-अलग होने चाहिए। किसी भी योग्य व्यक्ति को अपनी नौकरी नहीं खोनी चाहिए। वे कहते हैं कि वे आपको 2026 में नौकरी देंगे। इधर दीदी का माकपा व भाजपा का खेल जारी है। ममता ने आरोप लगाया कि नौकरी छीनने का काम भाजपा के लोगों ने किया है। भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बंगाल सरकार को घेर रही है। एजेंसी ने आरोपपत्र में 2017 में रिकॉर्ड एक बातचीत की ऑडियो फाइल का हवाला दिया और किसी अभिषेक बनर्जी का नाम लिया, जिन्होंने अवैध नियुक्तियों के लिए 15 करोड़ रुपये मांगे थे। एजेंसी ने आरोपपत्र में अभिषेक बनर्जी की पहचान स्पष्ट नहीं की, हालांकि यह नाम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के नाम से मिलता है। अतीत में विपक्ष ने उनके खिलाफ घोटाले में शामिल होने का बार-बार आरोप लगाया है।
सीबीआई ने 28 पृष्ठों के इस आरोप पत्र को 21 फरवरी को दायर किया था, जिसकी प्रमाणित प्रति पीटीआई के पास है। इस आरोपपत्र में सुजय कृष्ण भद्र उर्फ ‘कालीघाटर काकू’ और दो अन्य को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी), 2014 की चयन प्रक्रिया के माध्यम से राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की अनियमित नियुक्तियों का दोषी बताया गया है। दीदी और उनकी पार्टी के साथ समस्या यह है कि वक्फ के नाम पर वह धार्मिक उन्माद फैला सकती हैं मगर नौकरी का मामला धर्म से आगे है। यहां हिन्दू या मुस्लिम का खेल नहीं खेला जा सकता क्योंकि भूख धर्म नहीं देखती। नौकरी दोनों ही धर्मों के लोगों की गयी है। युवाओं में काफी नाराजगी है, आक्रोश है और विपक्ष ने अगर इसे साध लिया तो 2026 के चुनाव में मानकर चलना चाहिए कि दीदी की विदाई पक्की है । यहां यह बता दें कि बंगाल की दुर्दशा की जिम्मेदार यहां की मुफ्तखोर जनता है जो एक प्लेट बिरयानी और लक्खी भंडार के एक हजार रुपये के लिए चुनाव के दौरान बिकने को तैयार हो जाती है। वह भूल जाती है सन्देशखाली, कामदुनी, आर जी कर, सारधा, नारदा, राशन घोटाला, नियुक्ति घोटाला..सब कुछ..वह मुर्शिदाबाद की हिंसा भी भूल जाएगी। मुफ्तखोरी ने यहां के युवाओं और गृहणियों को इतना अंधा व काहिल बना दिया है कि वे पंगु हो चले हैं, काम करना भूल चुके हैं और बढ़ते अपराध व गुंडागर्दी इसी का साइड इफेक्ट है। बंगाल और बंगाल के भविष्य की रक्षा अब ईश्वर ही कर सकते हैं।