दुर्गापूजा ऐसा अवसर है जो हमें रिचार्ज करता है। बचपन से ही भव्य मंडप, रंग-बिरंगी रोशनी को देखकर मुग्ध होते रहे हैं हम। तब इतनी तामझाम नहीं थी। हालांकि तुष्टीकरण तब भी था मगर आज के बंगाल में जिस बेशर्मी के साथ यह चरम सीमा पर पहुंच गया है, तब ऐसा नहीं था। वामपंथी पार्टियों के स्टॉल देखे मगर किसी को काबा और मदीना को याद करते नहीं देखा। दुर्भाग्यवश सत्ता पक्ष एक वर्ग को संतुष्ट करने के चक्कर न सिर्फ डेमोग्राफी बदलने के चक्कर में है बल्कि रह -रहकर अपनी वफादारी को जिंदा रखते हुए तथाकथित वंचित व अल्पसंख्यक वर्ग को अपनी वफादारी तक पहुंचाता रहता है। बंगाल ऐसे भीषण समय से गुजर रहा है जिसकी कल्पना भी हममें से किसी ने नहीं की थी। सत्ता में आते ही तृणमूल सरकार ने जिस तरह प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष तरीके से दबाया, उसने भाजपा को एक जमीन दे दी और आज न चाहते हुए भी बंगाल के लोग भाजपा की शरण में जाते दिख रहे हैं। पहले तो पितृपक्ष में माता दुर्गा के मंडप का उद्घाटन करना और जिलों में उत्सव में बाधा पहुंचाना खलता था। इसके बाद कार्निवल के नाम पर पर्यटकों को लुभाने के लिए मां दुर्गा की प्रतिमाओं का रैम्प शो सजाना हम सबकी श्रद्धा का सरासर अपमान रहा। इस राज्य में महिलाएं असुरक्षित महसूस करती रही हैं और लक्खी भंडार के लालच में लक्ष्मी जैसी कन्याओं के अपमान को लेकर भी मौन है..क्या यही सिखाती हैं मां दुर्गा ? बारिश में हिजाब पहनकर मंडप में जाना क्या साबित करता है? उस पर पंडाल में खड़े होकर तृणमूल नेत्री के विधायक मदन मित्रा का मेरे दिल में काबा और मदीना करना क्या हिन्दुओं का अपमान करनी नहीं है? मोहम्मद अली पार्क कोलकाता की प्रतिष्ठित पूजा है मगर श्रद्धालुओं को मां से दूर करने के लिए पुलिस की सहायता लेकर मार्ग ऐसा बदल दिया गया कि लोग चाहें तो भी मंडप में चलकर जाने की हिम्मत नहीं होती। पंडाल को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया और उस पर काला कपड़ा लगाकर ढक दिया गया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस पूजा का उद्घाटन खुद तृणमूल विधायक ने किया था, तब पुलिस को अव्यवस्था नहीं दिखायी दी, हद है। क्या हम यह समझें कि पूजा और जय बांग्ला के बहाने हिन्दीभाषिय़ों को टारगेट किया जा रहा है क्योंकि आसपास के इलाके मुस्लिम बहुल इलाके हैं तो क्या कोलकाता को मुर्शिदाबाद बनाने का प्रयास है यह ? याद रहे कि लोग परिवार के साथ चलते हैं जिनमें छोटे बच्चे होते हैं। अभी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर गजब की ईर्ष्या है जबकि लोग संतोष मित्रा स्क्वायर में उमड़ रहे हैं और इस पूजा को कई बार नोटिस भेजी जा चुकी है। यहां तक कि लाइट और साउंड वेंडर को भी नोटिस थमा दी गयी। इसके पहले सागर में इसी थीम पर बने पंडाल को खोलने पर मजबूर किया गया तो सरकार साबित क्या करना चाहती है, उसे तय करना चाहिए। प्रतिष्ठित संतोष मित्रा स्क्वायर दुर्गा पूजा पंडाल को लेकर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। इस पंडाल के आयोजक और कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के भाजपा पार्षद सजल घोष ने कोलकाता पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जानबूझकर यहां आने वाले दर्शकों को रोका जा रहा है। उन्होंने इसे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को इस पंडाल का उद्घाटन किया था। घोष का दावा है कि पुलिस ने सियालदह स्टेशन परिसर और उसके चारों ओर बैरिकेडिंग कर दी है, इस वजह से श्रद्धालु और आगंतुक पंडाल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “पूरे इलाके को घेर लिया गया है। न लोग आसानी से पंडाल तक आ सकते हैं और न ही गाड़ियां अंदर प्रवेश कर पा रही हैं। केवल वही लोग पंडाल तक पहुंच रहे हैं जो किसी तरह बैरिकेड तोड़कर आ रहे हैं।
संतोष मित्रा स्क्वायर पूजा समिति उन शुरुआती समितियों में रही है जिसने राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली दुर्गा पूजा ग्रांट को ठुकरा दिया था। इस बार समिति ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को थीम बनाया है। इस थीम में केंद्र सरकार की आतंकवाद-रोधी उपलब्धियों और पाकिस्तान को करारा जवाब देने वाले अभियानों को प्रदर्शित किया गया है। आयोजकों का कहना है कि जनता से इस थीम को व्यापक समर्थन और सराहना मिल रही है। सजल घोष ने आरोप लगाया कि यही वजह है कि तृणमूल कांग्रेस इस पूजा को टारगेट कर रही है। उन्होंने कहा, “पंडाल में जो थीम लगाई गई है, वह केंद्र सरकार की उपलब्धियों और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख को दर्शाती है। इसे जनता की भारी सराहना मिल रही है। संतोष मित्रा स्क्वायर का इतिहास भी उल्लेखनीय है। पिछले वर्ष 2023 में इस पंडाल को राम मंदिर थीम पर सजाया गया था, जिसे उद्घाटन करने स्वयं गृह मंत्री अमित शाह पहुंचे थे। उस समय भी इस पंडाल ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं और भाजपा नेताओं ने इसे सांस्कृतिक व राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण करार दिया था। इस बार भी अमित शाह ने पंडाल का उद्घाटन करते हुए आयोजकों की सराहना की थी, लेकिन उद्घाटन के तुरंत बाद अब राजनीतिक टकराव ने इसे फिर से केंद्र बिंदु बना दिया है। आयोजकों का कहना है कि दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ रही है, लेकिन पुलिस की बैरिकेडिंग और प्रतिबंधों के चलते लोग पंडाल तक पहुंच नहीं पा रहे। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया है और विवाद और गहराता जा रहा है। मजे की बात यह है कि इसी थीम पर मध्य कोलकाता में एक और पंडाल बनाया गया है मगर उसे लेकर कोई दिक्कत नहीं है। यंग बॉयज क्लब दुर्गा पूजा कमेटी ने अपने 56वें वर्ष में “ऑपरेशन सिंदूर” थीम पर बनाए गए भव्य मंडप का अनावरण कर भारत के सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को नमन करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। इस वर्ष दुर्गोत्सव के आयोजन में भक्ति और राष्ट्रीय गौरव की गहरी भावना का अद्भुत मिश्रण किया गया है, जो हज़ारों लोगों को तारा चंद दत्ता स्ट्रीट पर जीवंत पंडाल की ओर आकर्षित कर रहा है, यह आकर्षक मंडप सेंट्रल एवेन्यू को रवींद्र सरणी से जोड़ने वाला एक ऐतिहासिक स्थल पर बनाया गया है। कलाकार देबशंकर महेश द्वारा डिज़ाइन किए गए इस मनमोहक पंडाल में कई आकर्षक कलाकृतियाँ हैं, जो थीम को जीवंत बनाती हैं। इस मंडप में दर्शकों को भारतीय सेना के टैंकों और मिसाइलों की जीवंत प्रतिकृतियाँ देखने को मिलेंगी। इस थीम का मुख्य आकर्षण भारतीय सेना का सिर गौरव से ऊंचा करनेवाली देश की वो दो वीर बेटियां, महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह का सम्मान हैं। उनकी प्रतिकृतियाँ सेना में महिलाओं की शक्ति और नेतृत्व के सशक्त प्रतीक के रूप में खड़ी हैं।
सरकार कोई भी हो, उसे समझना होगा कि नवरात्रि हो या दुर्गा पूजा वह सिर्फ उत्सव नहीं, बंगाल की आत्मा है। श्रद्धालु मां के लिए बच्चों के समान होते हैं। सरकारें आती -जाती रहेंगी मगर जो शाश्वत है, वह माता आदिशक्ति हैं और जब भी अति होगी, उसका अंत होकर रहता है। भविष्य का पता नहीं मगर लग रहा है कि अति अपने अंत को खुद ही निमंत्रण दे रही है।