Monday, April 28, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]

प्रयागराज में संगम के नीचे 45 किमी लंबी और 12000 साल पुरानी ‘सरस्वती’ नदी!

ऋग्वेद की वाणी पर वैज्ञानिकों के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे की मुहर

प्रयागराज : अपने पूर्वजों से सुनते आए पवित्र सरस्वती नदी की कहानियाँ सिर्फ कहानी ही नहीं, बल्कि अखंड सच्चाई है। इस बात की पुष्टि समय-समय पर विज्ञान शोधों में मिलने वाले सबूत करते रहते हैं। अब तक मान्यता यही रही है कि हिंदुओं की धर्मनगरी प्रयागराज  में तीन प्राचीन एवं पवित्र नदियों- गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। अब भारतीय वैज्ञानिकों को संगम के नीचे लगभग 12,000 साल पुरानी नदी मिली है। माना जा रहा है कि यह ऋग्वैदिक काल की पूज्य और अब विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी हो सकती है।

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे में इस बात के ठोस प्रमाण मिले हैं कि संगम के नीचे 45 किलोमीटर लंबी यह प्राचीन नदी मौजूद है। वर्तमान में इस संगम तट पर गंगा और यमुना नदियों का मिलन होता है। ऐसे में इन दोनों की तलहटी में मौजूद सरस्वती नदी में जल का विशाल भंडार होने का अनुमान है। सीएसआईआर – एनजीआईआर के वैज्ञानिकों के इस संयुक्त अध्ययन को अडवांस्टड अर्थ एंड स्पेस साइंस में प्रकाशित किया गया है।

दरअसल, वैज्ञानिक इस बात का पता कर रहे थे कि पानी की बढ़ती खपत के कारण गंगा और यमुना नदी पर कितना प्रभाव पड़ रहा है। नदियों पर पड़ने वाले प्रभाव का सीधा असर पारिस्थितिकी और पर्यावरण पर पड़ता है। नदियों को रीचार्ज करने वाली जमीन के नीचे मौजूद पुरातन नदियों के बारे में वैज्ञानिक जानकारी हासिल करना चाह रहे थे, क्योंकि नदियों को सिर्फ हिमालय जैसे ग्लेशियरों से ही नहीं, बल्कि भूतल में मौजूद नदियों से भी जल मिलता है। इस का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक इस क्षेत्र का थ्री डी मैपिंग करने के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे कर रहे थे।

वैज्ञानिकों ने पाया कि विंध्य फॉर्मेशन के अंतर्गत आने वाली एक अति प्राचीन नदी गंगा और यमुना की तलहटी में मौजूद है। इस प्राचीन नदी (पैलियोरीवर) का एक्वीफर सिस्टम और पुरातन नहरें आपस में जुड़ी हुई हैं और एक-दूसरे की पानी की जरूरतों को पूरा कर रही हैं। इस प्राचीन नदी की लंबाई 45 किलोमीटर, चौड़ाई 4 किलोमीटर और गहराई 15 मीटर है। इसमें 2700 एमसीएम रेत है और जब यह पानी से पूरी तरह भरी रहती है तो यह जमीन के ऊपर 1300 से 2000 वर्ग किलोमीटर के इलाके को सिंचित करने योग्य भूजल देती है। 1000 एमसीएम जल क्षमता वाली यह नदी गंगा और यमुना में जल के स्तर को संतुलित करने का भी काम करती है।

हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि गंगा, यमुना और सरस्वती का उद्गम स्थल हिमालय है। अध्ययन में इस बात को माना गया है कि खोज में मिली यह नदी संभवत: हिमालय तक जाती है। नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजेआरआई) के निदेशक ने बताया कि यह नदी धरती की 10 मीटर नीचे गहराई में स्थित है और 10,000 से 12,000 साल पुरानी है। उन्होंने कहा कि समुचित अध्ययन के बाद ही नदी के सही उम्र के बारे में जानकारी दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि सर्वे का काम जारी है और अभी तक पता चला है यह नदी कानपुर की ओर बह रही है।

गौरतलब है कि प्राचीन नदियों की खोज के लिए जल संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित 7 सदस्यीय आयोग ने 2016 में अपनी रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भूतल में प्राचीन नदी सरस्वती के बहने के साक्ष्य मौजूद हैं। साल 2018 में मंत्रालय ने राजस्थान और हरियाणा में सरस्वती नदी की खोज को लेकर काम शुरू किया गया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय से निकलने वाली प्राचीन नदी अरब सागर में जाकर मिलती थी।
(साभार – ऑप इंडिया)

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

शुभजिताhttps://www.shubhjita.com/
शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।
Latest news
Related news