15 साल बाद सामने आई असलियत
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पुणे : कोरोना वायरस के लॉकडाउन के कारण टीवी पर 34 साल बाद रामानंद सागर की बनाई रामायण का फिर से प्रसारण हो रहा है। दर्शक जहां इस धारावाहिक के बहाने यादों को ताजा कर रहे हैं, वहीं इसके कारण एक सच्चाई का खुलासा भी हुआ जो मंदोदरी का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस को लेकर है। दरअसल, बीते 15 वर्षों से लोग और मीडिया प्रभा मिश्रा नाम की जिस महिला को मंदोदरी की पहचान देते आए हैं, उन्होंने वास्तव में मंदोदरी की भूमिका नहीं निभाई थी। सच्चाई यह है कि इस भूमिका को महान अभिनेता भारत भूषण की बेटी अपराजिता भूषण ने निभाया था। एक महान किरदार की पहचान खोने के इस पूरे मामले में दैनिक भास्कर ने पड़ताल की और अपराजिता भूषण से सीधे बातचीत कर सच जाना। इसके बाद जो कहानी सामने आई, उसे हम ज्यों की त्यों अपराजिता के शब्दों में बयां कर रहे हैं।
मैं अपराजिता भूषण, भारत भूषण जी की बड़ी बेटी हूं और अपने परिवार के साथ पुणे में रहती हूं। मैं करीब 23 साल पहले फिल्म इंडस्ट्री से दूर हो गई थी और मैंने अपना आगे का करिअर बतौर एक लेखिका और मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में बनाया है।
ये इसी साल जनवरी के महीने की बात है। जब कुछ शुभचिंतकों ने मेरे ध्यान में यह बात लाई कि इंटरनेट पर ‘मंदोदरी’ शब्द को सर्च करें तो रामानंद जी की रामायण में मंदोदरी की आपकी भूमिका आपके नाम से नहीं, बल्कि बीके प्रभा मिश्रा के नाम से आती है। यह बात तब की है जब न तो कोई कोरोना संकट था और न ही रामायण के दोबारा प्रसारण की कोई योजना थी।
मैं शॉक्ड रह गई क्योंकि मेरे नाम और काम पर आघात यह सब पिछले 15 साल से चल रहा था। मैंने गूगल सर्च करके पुराने लिंक खोजे और पाया कि मेरे शुभचिंतक सही कह रहे थे। मैंने पाया कि जिन प्रभा मिश्रा के नाम को रामायण की मंदोदरी बताया जा रहा है वे प्रतिष्ठित संस्था ब्रह्मकुमारीज से जुड़ी हैं।
इसके बाद मैंने ब्रह्मकुमारीज संस्था से सम्पर्क किया और उन्हें पूरी बात बताते हुए कहा कि इससे तो मेरा काम और मेरी पहचान ही गुम हो गई, या कहें कि चोरी हो गई। उन्होंने मेरी बात बहुत गंभीरता से सुनी और मदद के लिए तुरंत कदम उठाए। उन्हीं के माध्यम से मैंने प्रभा मिश्रा से सम्पर्क किया। उन्होंने सब कुछ सुनकर मुझे कुछ अजीब से तर्क दिए, जो सच्चाई से परे थे।
सच-झूठ सामने आने के बाद उन्होंने मुझसे माफी मांगी। मैं व्यथित थी और मैंने उनसे आग्रह किया कि वे मेरी पहचान लौटाए और बीते 15 वर्षों में जो भी इंटरव्यू दिए है उन्हें डिलीट करवाएं और जो भी बातें उन्होंने मेरी मंदोदरी वाली भूमिका ओढ़कर की है उसे लेकर अपना स्पष्टीकरण लिखित में दें कि मैंने वह भूमिका नहीं की थी, मैंने तो सिर्फ उसका इस्तेमाल किया था।
कई बार ध्यान दिलाने के बाद भी दो महीने तक उनकी ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया। तभी अचानक कोरोना लॉकडाउन में दूरदर्शन ने रामायण को फिर से दिखाने का फैसला किया। मुझे मीडिया की ओर से कॉल आने लगे और साथ ही प्रभा मिश्रा की भूमिका को लेकर भी मुझसे सवाल किए जाने लगे। जब मैंने सच्चाई बताई तो सभी हैरान थे और मुझे कानूनी कदम उठाने की सलाह भी दी गई, हालांकि मैंने उस सलाह को नजरअंदाज करने का फैसला किया।
मैंने प्रभा जी को फिर से कॉल किया और उनसे कहा कि आप मुझे एक ईमेल करके अपनी सफाई दें और उसमें लिखें कि मैं असली मंदोदरी नहीं हूं, यह भूमिका अपराजिता भूषण ने की थी। उन्हाेंने बीते दिनों मुझे एक ईमेल भेजा और अपनी गलती स्वीकार कर मुझे अपनी मंदोदरी की पहचान लौटाई। आखिरकार, उन्होंने मेरा सहयोग किया और इस तरह सद्भावनापूर्वक इस पूरे मामले में सच की जीत हुई।
बीते तीन महीने मुझे इस पूरे मामले ने काफी परेशान किया। मेरे परिवारजन भी दुखी हुए, लेकिन हमने हिम्मत और सच्चाई के साथ सहानुभूति से सभी के सामने अपने पक्ष को रखा। मैंने प्रभा जी से अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। मेरे पिता ने हमेशा हम बच्चों को रामायण और श्रीमदभगवतगीता के रास्ते पर चलने की सीख दी। बतौर स्प्रिच्युअल राइटर और स्पीकर होने के नाते मेरी शक्ति भी वही गुण हैं। मेरा मानना है कि जीवन में क्षमा और करुणा बहुत आवश्यक है, लेकिन मेरा यह भी मानना है कि जो कुछ भी गलत है और धर्म के विरूद्ध है, उसका मुकाबला करके उसे नष्ट किया जाना चाहिए।
अंत में, मैं कहूंगी कि ईश्वर की कृपा है कि उन्होंने मेरी सत्यनिष्ठा को स्थापित करने की शक्ति दी और मुझे अंधेरे से उजाले में आने का मार्ग दिखाया।
(साभार – दैनिक भास्कर)