खर्च होंगे 120 करोड़ रुपये
कोलकाता : बंगाल सरकार ने 12,500 हेक्टेयर में फैले पूर्वी कोलकाता दलदल क्षेत्र (ईकेडब्ल्यू) को संरक्षित व पोषित करने के लिए 120 करोड़ रुपये की योजना बनाई है जो पांच साल में लागू की जाएगी। पर्यावरण विभाग के शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। दलदली भूमि वह होती है जहां पर सालभर या किसी मौसम में पानी जमा रहता है और इसकी वजह से वहां एक विशेष पारिस्थितिकी तंत्र बन जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (पर्यावरण) विवेक कुमार ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने राज्य के तटीय इलाकों के संरक्षण के लिए भी कार्यक्रम बनाया है जिन्हें पिछले साल आए एम्फन तूफान और पिछले महीने आए यास तूफान से नुकसान पहुंचा हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वी कोलकाता दलदली भूमि को कई तरीकों से संरक्षित किया जाएगा, जैसे अतिक्रमण रोका जाएगा, कृषि में इस्तेमाल कीटनाशकों एवं टेनरियों के पानी से जल को प्रदूषित होने से रोका जाएगा। इसके अलावा रामसर इलाके स्थित दलदली भूमि के महत्व को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा की जाएगी।
वर्ष 1971 के रामसर सम्मेलन के तहत रामसर इलाका अंतरराष्ट्रीय महत्व का दलदली क्षेत्र है। कुमार ने बताया कि राज्य के तटीय इलाकों के सरंक्षण के लिए सरकार ने शंकरपुर-दीघा तटीय क्षेत्र सड़क एवं प्रबंधन योजना बनाई है। सरकार की योजना एम्फन तूफान से तबाह सुंदरवन इलाके में पांच करोड़ मैंग्रोव के पौधे लगाने की है और अगले आठ से 10 साल बाद हम इसके नतीजे देखेंगे।
राज्य की पर्यावरण मंत्री रत्ना दे नाग ने कहा कि झारग्राम जिले में कनकदुर्गा मंदिर से सटे इलाके में कई दुर्लभ पौधे हैं जिन्हें संरक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के अत्याधिक इस्तेमाल और वन क्षेत्र कम होने से हमारी जैव विविधता को खतरा है, इसकी वजह से उत्पन्न माहौल कोविड-19 के संक्रमण में सहायक रहा।