नयी दिल्ली/जमशेदपुर : झारखंड अब पूरे देश को स्टील की सड़कें देगा। जमशेदपुर में स्टील से बनी ढाई किमी सड़क का प्रयोग सफल रहा है। अब प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनने वाली सड़कों में स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया जाएगा। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) और सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआईआईआर) ने नागपुर में इंडियन रोड कांग्रेस में इसकी रिपोर्ट जारी की है। अभी ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों में इसका प्रयोग किया जाएगा। हाईवे के लिए तकनीक पर और रिसर्च चल रही है।
एनएच-33 पर करीब दो साल पहले पारडीह काली मंदिर के आगे 500 मीटर लंबी रोड में स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया गया था। 2014-15 में जमशेदपुर में डिमना के पास भी स्टील स्लैग से दो किमी लंबी सड़क बनाई गई थी। इसे मजबूती और गुणवत्ता में बेहतर पाया गया। सड़क आज भी सही सलामत है। इस रोड पर रोजाना 1200 से 1300 भारी वाहन (3 टन से ज्यादा वजनी) रोजाना गुजरते हैं। दोनों सड़कें परीक्षण में ठीक पाई गई हैं।
सीएसआईआर और सीआईआईआर की रिपोर्ट के मुताबिक, जब नेशनल हाईवे पर प्रयोग सफल है तो ग्रामीण इलाकों में नई तकनीक से बनी रोड की उम्र और भी बढ़ जाएगी, क्योंकि वहां पर भारी वाहन कम संख्या में गुजरते हैं। स्टील प्लांट के आसपास के क्षेत्रों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनने वाली सड़कों में स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया जाएगा। फिलहाल, झारखंड और ओडिशा की ग्रामीण सड़कों के निर्माण में इस मटेरियल का इस्तेमाल किया जाना है।
स्टील के स्लैग का बाई प्रोडक्ट है एग्रेटो
टाटा स्टील के इंडस्ट्रियल बाई प्रोडक्ट डिवीजन के सीनियर एक्जीक्यूटिव प्रभात कुमार के मुताबिक, यह स्टील के स्लैग से बनने वाला बाई प्रोडक्ट है। स्टील स्लैग की सड़कों में गिट्टी की जगह इसका प्रयोग किया जाता है। टाटा स्टील से निकलने वाले 0-65 मिमी स्लैग को प्रोसेस कर एग्रेटो बनाया जाता है। इसे बनाने में तीन से छह महीने का वक्त लगता है। 18 जनवरी, 2017 को टाटा स्टील ने कोलकाता में आयोजित आईबीएमडी (इंडस्ट्रियल बाय-प्रोडक्ट्स मैनेजमेंट डिवीजन) के ग्राहक सम्मेलन में एग्रेटो लांच किया था। यह चार अलग-अलग आकारों में होता है और बिटुमिन और पक्की सड़क के निर्माण में इस्तेमाल के लिए उपयुक्त है।
स्टील सड़क की उम्र भी ज्यादा
स्टील स्लैग की कीमत 250 से 300 रु. प्रति टन होती है, जबकि गिट्टी की कीमत 850 से 1000 रु. या कई जगह इसकी कीमत 2 हजार रु. प्रति टन तक पहुंच जाती है। इसलिए गिट्टी के मुकाबले स्टील की सड़क सस्ती पड़ेगी। सीएसआईआर और सीआईआईआर के सीनियर साइंटिस्ट और प्रोजेक्ट के प्रमुख सतीश पांडेय ने बताया कि यह भारी होती है। इसकी घर्षण प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है, जिससे इसकी उम्र गिट्टी वाली सड़क से अधिक होगी। साथ ही सड़कों से उठने वाले धूल-धुएं से निजात मिलेगी।
स्लैग से पर्यावरण को फायदा
प्रभात कुमार बताते हैं कि पर्यावरण को देखते हुए एग्रेटो का निर्माण किया जा रहा है। आमतौर पर सड़कों में अभी गिट्टी का प्रयोग होता है। इसके लिए पहाड़ काटने पड़ते हैं। इससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। इसकी डस्ट से मजदूर और ग्रामीण बीमारी के शिकार होते हैं, लेकिन स्टील स्लैग से न तो पर्यावरण पर असर पड़ता है और न ही सड़क किनारे रहने वाले लोगों की सेहत पर।