पुणे के गाँव में सास पापड़ बनाकर पैसे कमा रहीं तो बहुएं केक बनाकर

सास से ज्यादा कमाई की होड़ में लगी हैं
पुणे : बारामती से 28 किलोमीटर दूर एक गांव है इंदापुर। गांव की सास और बहुओं के बीच कमाई की अनोखी प्रतियोगिता शुरू हो गई है। यहां पहले से सात महिलाओं का एसएचजी (स्वयं सहायता समूह) है, जो उड़द दाल के पापड़ बनाने का काम कर रहा है।
इलाके में इनके पापड़ों की इतनी माँग है कि एक महीने में 400 किलो तक पापड़ नजदीकी शारदा नगर कॉलेज की मेस में बिक जाते हैं। समूह की सातों महिलाएं उम्रदराज हैं। इन्हें कमाई करता देखकर अब गाँव की बहुओं ने भी समूह बनाया है, जो चॉकलेट और केक बना रही हैं। सासों का कहना है कि चाहे बहुएं फैशन की कोई भी चीज़ बना लें, लेकिन हमारी कमाई ही ज्यादा रहेगी।
सात लाख रुपये कमा लेती हैं
सप्ताह में तीन दिन काम करने से पापड़ बनाने वाली सात महिलाएं साल में कुल सात लाख रुपये कमा लेती हैं। इन्होंने राजमाता पापड़ यूनिट बनाई है, वहीं बहुओं ने स्वामी सामर्थ्य नाम से अपना एसएचजी बनाया है। इनके कोऑर्डिनेटर और गांव के ही रहने वाले राहुद गुरुजी कहते हैं ‘किसका ग्रुप कितना पैसा कमाता है, इसे लेकर सास-बहुओं में स्पर्धा हो रही है जो अच्छी बात है।
बुराई करने का समय न मिले
हम चाहते हैं कि हमारे गांव की सास और बहुओं को न लड़ने-झगड़ने का समय मिले न एक-दूसरे की बुराई करने का।’ महामारी के समय में जब पुरुषों के पास कोई काम नहीं बचा था, तब इन महिलाओं ने ही पूरे घर खर्च की जिम्मेदारी उठाई। शारदा महिला संघ के तहत बनाए गए इस ग्रुप के संयोजक राजाराम नागरे बताते हैं कि बारामती में इस तरह के 200 समूह हैं जो कुछ न कुछ बना रहे हैं और खुद मार्केटिंग भी कर रहे हैं।

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