पूरे शरीर के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहने वाले लोग भी अक्सर इस संपूर्ण स्वास्थ्य में दांतों को जोड़ना भूल जाते हैं। दिन में केवल एक बार ब्रश कर लेना ही ओरल केयर नहीं है। ओरल केयर के लिए हर बिंदु पर ध्यान देना जरूरी है, अन्यथा तकलीफ गंभीर हो सकती है।
क्या है पायरिया?
पेरियोडोन्टाइटिस या पायरिया, मुंह की एक ऐसी समस्या है जो इलाज न मिलने पर गंभीर रूप ले सकती है। इस समस्या में मसूड़े की अंदरूनी परत और हड्डियां, दांतों और दांतों के खांचे से दूर हो जाती हैं, इसके कारण छोटे-छोटे गड्ढेनुमा संरचना बन जाती है और इसमें संक्रमण पैदा करने वाले कारक पनपने लगते हैं। यह संक्रमण सड़न पैदा करता है और इस स्थिति में 2झ पैदा होने से मुंह से बहुत बुरी बदबू आने लगती है। यही नहीं इससे उस स्थान पर हड्डी के भी क्षतिग्रस्त होने का खतरा हो जाता है। यही नहीं संक्रमण के बढ़ने पर मसूड़ों से खून आने लगता है और पस भी पड़ सकता है।
लक्षण जो नजर आते हैं:
दांतों की यह समस्या एक दिन में न तो पनपती है न ही इसके लक्षण एक दिन में नजर आते हैं। पायरिया के संबंध में भी यही बात लागू होती है। इसके लक्षण कई दिनों बाद सामने आते हैं। और एक बार लक्षण सामने आने के बाद तेजी से समस्या और बढ़ने लगती है। इसके मुख्य लक्षणों में दांतों में दर्द, खून आना, मसूड़ों में सूजन या उनका फूल जाना, दांतों में गैप आना या दांतों का हिलना, दांतों और मसूड़ों के बीच पॉकेट का बन जाना, हरे, पीले, काले या ग्रे रंग के टार्टर का दांतों पर जमा हो जाना, दांतों की जड़ें दिखने लगना तथा मसूड़ों का सिकुड़ जाना आदि शामिल हैं।
ये हैं कारण
ओरल हेल्थ को लेकर सजग रहना पूरे शरीर के लिए फायदेमंद हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो दांतों या मसूड़ों से जुड़ी तकलीफें दिल तक पर असर डाल सकती हैं। पायरिया के संदर्भ में तकलीफ के पैदा होने के पीछे के मुख्य कारण हैं-
- मुंह की साफ-सफाई ठीक से न होना
- दांतों के बीच खाने के कण फंसे रह जाना
- ठीक से ब्रश न करना या बहुत कड़क ब्रिसिल्स वाले ब्रश का उपयोग करना
- कैविटी का बनना
- जल्दी-जल्दी टूथपेस्ट बदलना
- गुटखा, तंबाकू, सिगरेट, शराब, पान, सुपारी की लत होना
- दांतों को बार-बार कुरेदना
- बार-बार पेट की समस्या होना
- हॉर्मोनल चेंजेस
- अनुवांशिक कारण
- किसी ऑटोइम्यून समस्या के कारण, आदि।
उपचार जरूरी है
इस समस्या से बचाव का सबसे सहज तरीका है ओरल हेल्थ पर ध्यान देना। जिसमें दिन में कम से कम दो बार सुबह और रात को सोने से पहले, ब्रश करना, समय-समय पर डेंटिस्ट से दांतों का चेकअप करवाना, दांतों को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी चीज से दूर रहना, जैसे गुटखा, तंबाकू, शराब, सिगरेट, सुपारी, कोल्डड्रिंक, आदि, यदि ओरल हेल्थ से जुड़ी कोई समस्या आपकी फैमिली हिस्ट्री का हिस्सा है तो उसे लेकर सतर्कता बरतना, आदि।
बचाव के उपाय अपनाने के साथ ही समस्या होते ही उसका तुरंत निदान करना भी आवश्यक है। इस तकलीफ के लिए दांतों की सफाई के साथ ही, स्केलिंग, रूट प्लानिंग तथा औषधियों का उपयोग उपचार के लिए किया जाता है। इसके अलावा यदि केस गंभीर अवस्था में है तो सर्जरी का विकल्प भी होता है। इ