पापा के बाद

-किरण सिपानी

फौलादी बन जाती है बेटियांँ
पापा के बाद

माँ को बाँहों में समेटतीं
काँच से बुढ़ापे को
दरकने नहीं देती बेटियाँ
पापा के बाद

पाँवों में बाँधे चक्के
खानदानों को चुस्त रखतीं
खेलती सी रहती हैं बेटियाँ
पापा के बाद

चिलचिलाती धूप में
तेज बारिश में, सर्द हवाओं में
हर मौसम में
गुनगुनाती रहती हैं बेटियाँ
पापा के बाद

हमसफरों के साथ, पहरेदारों सी
नयी-नयी माँओं सी
जागती रहती है बेटियाँ
पापा के बाद।

 

शुभजिता

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