शुभजिता फीचर डेस्क
धर्म बताओ, कलमा पढ़ो…क्या मजहब है तुम्हारा । काफिर हो ? और गोलियां चला दी गयीं..सुनकर क्या ऐसा नहीं लग रहा कि जैसे एक बार हम फिर मुगलों के जमाने में चले गये हों। धर्म की रक्षा के लिए न जाने कितनों ने प्राणों की आहुति दी…मगर तब तो हम गुलाम थे। हिन्दुओं को हिन्दू होने की कीमत अब तक चुकानी पड़ रही है, उसी आजाद देश में जो उनका है। न जाने कब से गंगा -जमुनी तहजीब के आवरण में नफरत की आग को ढककर रखा गया है । हमें कहा जा रहा है कि आंखों के सामने जो सच खड़ा है, वह न देखें और एक झूठ पर विश्वास करते रहें । 22 अप्रैल का वह काला दिन…जब बच्चों के सामने पिता को गोली मारी गयी, जब पत्नी के सामने पति को गोली मार दी गयी………..और वह भी मजहब पूछकर । निश्चित रूप से यह पाकिस्तान के सेना प्रमुख की कारस्तानी है मगर सवाल यह है कि आतंकियों का शरणदाता कौन है? वह कौन है जो इनके लिए भोजन से लेकर सूचनाएं मुहैया करवाता है? क्या भारतीय पैसे इसलिए कमाएं कि उनका पेट भरें जो उनकी मौत का सामान इकट्ठा कर रहे हैं। सरकार ने सुरक्षा घटाने और यह मान लेने की गलती कैसे की कि घाटी में सब ठीक हो गया है? कश्मीर को संगीनों के साये में जीने की आदत हो गयी है……..और इन सबको पूर्ण राज्य का दर्जा चाहिए। सीधी सी बात है कि जब तक राज्य शह नहीं देता, किसी अपराधी की इतनी हिम्मत नहीं होगी कि वह राज्य की शांति को भंग करे..। यह ठंडे दिमाग से सोचकर की गयी सुनियोजित वारदात थी। वैसे ही जैसे बंगाल के मुर्शिदाबाद व भांगड़ में की गयी और हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा और उस पर माननीया के मंत्री बयान देते फिर रहे हैं कि राज्य के बाहर तो पलायन नहीं हुआ। नियंत्रण अब बहुत जरूरी है, उन सभी पर जो वोट के खेल में आम जनता की जिन्दगी से खेल रहे हैं। जो तुष्टीकरण के पासे से राजनीति की शतरंज जीतना चाहते हैं और आम जनता की जिन्दगी को दांव पर लगा रहे हैं। कश्मीरी खुद को कश्मीरी कहते हैं, भारतीय नहीं कहते…वो बात करते हैं आपका इंडिया…हमारा भारत नहीं कहते…टूरिस्ट जान इसलिए हैं क्योंकि वही रोजी रोटी है उनकी…अगर ये इतने ही अच्छे होते तो रातों रात लाखों कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़ने को बाध्य नहीं होते….तथाकथित शांतिप्रिय कौम में लोग इतने ही अच्छे होते तो मुर्शिदाबाद के हिन्दुओं को मालदा नहीं भागना पड़ता…इसमें बस जगहों के नाम जोड़ते जाइए…नालंदा से लेकर तालिबान तक बस जोड़ते जाइए…बांग्लादेश..सीरिया…फ्रांस। गौर कीजिए एक भी मुस्लिम पलायन नहीं हुआ है। इनके पास दारा शिकोह है पर ये औरंगजेब के दीवाने हैं…इनके आदर्श ही कट्टरपंथी लोग हैं पहलगाम आतंकी हमले में से एक में कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां अभी भी दावे की पुष्टि करने की प्रक्रिया में हैं। यह हमला बैसरन घाटी से हुआ, जो एक लोकप्रिय स्थल है, जहां सैकड़ों पर्यटक रोज़ाना घोड़े पर सवार होकर आते हैं, खासकर इस मौसम में। जानकारी मिली है कि एक महिला पर्यटक ने दोपहर 2:45 बजे पुलिस नियंत्रण कक्ष को शुरुआती कॉल करके बताया कि बैसरन में गोलियों की आवाज़ सुनी गई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सेना के जवानों के साथ एक पुलिस दल मौके पर पहुंचा। यह पूछे जाने पर कि क्या गोलीबारी करने वाले लोगों की पहचान कर ली गई है, जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सूत्र ने बताया, “यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि उनमें से कितने लोगों ने गोलीबारी की क्योंकि वह मौके से भागने में सफल रहे। सिंधु नदी जल समझौता स्थगित होने के बाद पाक बौखलाया हुआ है और बिलावल भुट्टो खून की नदियां बहाने की धमकी दे रहे हैं..जबकि इनके प्रधानमंत्री ने सुर नरम करते हुए जांच के लिए तैयार होने की बात कह दी है।
जम्मू कश्मीर पर्यटन को लगा बड़ा धक्का, 12 लाख एडवांस बुकिंग रद्द
घाटी में अपने चरम पर पहुंचे टूरिस्ट सीजन को बैसरन घटना ने एक दम से जमीन पर औंधे मुंह गिरा दिया है। घटना के चलते पर्यटकों द्वारा 12 लाख एडवांस बुकिंगों को रद्द कर दिया गया है। कश्मीर होटल एंड रेसटोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबर चौधरी ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि घाटी के होटलों व गेस्ट हाउसों में अगस्त महीने तक घाटी की सैर करने के इच्छुक 12 लाख पर्यटकों, जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं, ने अगस्त महीने तक एडवांस बुकिंग करा ली थी। इस घटना के फौरन बाद से पर्यटकों ने अपनी यह बुकिंग कैंसिल करवानी शुरू कर दी और आज शाम तक यह बुकिंग्स रद्द हो गईं। प्रशासन ने यहां फंसे टूरिस्टों के लिए स्पेशल ट्रेन व एक्स्ट्रा फ्लाइटों का बंदोबस्त कर दिया है तो ऐसे में हम दुआ ही कर सकते हैं कि हालात जल्दी से ठीक हो जाएं ताकि टूरिस्ट फिर से बेखौफ होकर यहां का रुख कर सकें।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद आईएनएस विक्रांत ने अरब सागर में मिसाइल दागकर अपनी ताकत दिखाई।सूत्रों के अनुसार भारतीय नौसेना को किसी भी क्षण आक्रमण के संकेत दिए जा सकते हैं। भारतीय वायुसेना ने भी युद्ध अभ्यास किया। उधर नियंत्रण रेखा पर सीमा सुरक्षा बल के अलावा सशस्त्र सैनिक बलों की तैयारी भी की जा चुकी है। पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बातचीत कर जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले में हुई मौतों पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने जान गंवाने वालों प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि आतंकवाद को किसी भी परिस्थिति में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पोस्ट में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने अपनी बातचीत में आतंकवाद को मानवता के लिए गंभीर खतरा बताया और इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत का सख्त रुख देखने को मिल रहा है। भारत ने 20 देशों के राजनयिकों को पहलगाम आतंकी हमले की जानकारी दी है। जिन दिशों के राजनयिकों को जानकारी दी गई है उनमें अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, इटली, कतर, जापान, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस के शीर्ष राजनयिक शामिल हैं। विदेश सचिव ने राजदूतों को इस बारे में जानकारी दी है।
बांदीपुरा में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच जारी मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर अल्ताफ लाली को मार गिराया गया है। भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बांदीपुरा में एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया। इस दौरान आतंकवादियों से संपर्क स्थापित किया गया, जिसके बाद गोलीबारी हुई। शुरुआती गोलीबारी के दौरान एक आतंकवादी घायल हो गया, जिसकी बाद में मौत हो गई। इसी मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मी भी घायल हो गए।
एक अन्य घटनाक्रम में पहलगाम हमले में शामिल माने जा रहे दो आतंकवादियों के घरों को शुक्रवार को सुरक्षाबलों और जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने नष्ट कर दिया। बिजबिहाडा में लश्कर के आतंकवादी आदिल हुसैन थोकर के घर को आईईडी का इस्तेमाल करके उड़ा दिया गया, जबकि त्राल में आसिफ शेख के घर को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। माना जाता है कि आदिल थोकर ने पाकिस्तानी आतंकवादियों को बैसरन घाटी में हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। अनंतनाग पुलिस ने थोकर और हमले को अंजाम देने वाले दो पाकिस्तानी नागरिकों अली भाई और हाशिम मूसा के बारे में जानकारी देने वाले को 20 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।
पाक ने कबूली आतंक पालने की बात
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े रुख से पाकिस्तान भी डरा हुआ है। पड़ोसी देश में हलचल तेज है और इसी के बीच एक बड़ा दावा सामने आया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने स्वीकार किया है कि उनका देश आतंकवादी समूहों को वित्त पोषण और समर्थन दे रहा है। ख्वाजा आसिफ ने अपने जवाब में कहा, “हम करीब तीन दशक से अमेरिका और ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं… यह एक गलती थी और हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ी और इसीलिए आप मुझसे यह कह रहे हैं। अगर हम सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध और बाद में 9/11 के बाद के युद्ध में शामिल नहीं होते, तो पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग होता।” पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने स्काई न्यूज प्रस्तोता यल्दा हाकिम को दिए साक्षात्कार में भारत के साथ “संपूर्ण युद्ध” की भी चेतावनी दी है। आसिफ का बयान इस तथ्य को उजागर करता है कि पाकिस्तान कई वर्षों से इन आतंकवादी समूहों को पनाह दे रहा है। इससे पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था कि सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति की बैठक में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों को सामने लाया गया। इस बात पर गौर किया गया कि यह हमला केंद्र शासित प्रदेश में सफलतापूर्वक चुनाव कराने और आर्थिक वृद्धि एवं विकास की दिशा में इसकी निरंतर प्रगति के मद्देनजर हुआ है। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, केंद्र सरकार ने कई कूटनीतिक उपायों की घोषणा की थी, जैसे अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) को निलंबित करना, उन्हें अपने देश लौटने के लिए 40 घंटे का समय देना, और दोनों पक्षों के उच्चायोगों में अधिकारियों की संख्या कम करना। भारत ने पहलगाम हमले के बाद 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को भी रोक दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश को भरोसा दिलाया कि इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों के साथ-साथ इसकी साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से परे सजा मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के बचे हुए गढ़ों को खत्म करने का समय आ गया है और 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति अब आतंक के दोषियों की कमर तोड़ देगी।
पर्यटक की निशानदेही पर पकड़ा गया खच्चर वाला
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में सुरक्षाबलों ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो का संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्रवाई की। वीडियो में एक महिला पर्यटक ने दावा किया था कि एक व्यक्ति ने उससे उसके धर्म के बारे में सवाल किया था। साथ ही 35 बंदूक भेजने और प्लान बी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसे सुना था। जांच के बाद गांदरबल पुलिस ने संदिग्ध की पहचान की और उसे पकड़ लिया है। उसकी पहचान अयाज अहमद जंगल के रूप में हुई। वह गांदरबल के गोहिपोरा रायजान का रहने वाला है। वह सोनमर्ग के थजवास ग्लेशियर में खच्चर सेवा देता है। संदिग्ध को देखने वाली महिला ने बताया कि हम लोग 13 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर गए थे। हम लोगों ने जम्मू-कश्मीर का 10 दिन का ट्रिप बनाया था। इस ट्रिप में हम लोग पहले माता वैष्णो धाम गए। 15 तारीख को वैष्णो देवी से फ्री हुए और 16 अप्रैल को श्रीनगर पहुंचे। 17 और 18 तारीख को हम लोग श्रीनगर में घूमे और 19 तारीख को हम लोग सोनमर्ग और 20 तारीख को पहलगाम गए थे। पहलगाम में हम लोगों की खच्चर वालों से बात हुई तो वह हमें बायसरन घाटी ले गए जिसे मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है।
‘पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेगा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर शुक्रवार को सिंधु जल समझौता के निलंबन को लेकर बैठक हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील के बीच करीब 45 मिनट लंबी बैठक में पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने के तरीकों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में तीन प्रमुख विकल्पों, अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक, पर विचार किया गया। सरकार का स्पष्ट इरादा है कि पाकिस्तान को एक बूंद पानी भी न जाने दिया जाए।
बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि पानी रोकने के हर संभावित तरीके पर तुरंत काम शुरू किया जाएगा। अधिकारियों को इस दिशा में तुरंत कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद को लगातार बढ़ावा दिया है, जिसके कारण सुरक्षा अनिश्चितताओं ने भारत को संधि के तहत अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग करने में बाधा डाली है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने संधि के तहत वार्ता शुरू करने के भारत के अनुरोध का जवाब नहीं दिया, जो संधि का पूरी तरह से उल्लंघन है। देवश्री मुखर्जी ने पत्र में स्पष्ट किया था कि संधि को निलंबित करने का निर्णय भारत सरकार ने गहन विचार-विमर्श के बाद लिया है। भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि सिंधु जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जिसके तहत भारत ने तीन पूर्वी नदियों का जल उपयोग करने का अधिकार रखा था, जबकि तीन पश्चिमी नदियों का बहाव पाकिस्तान को दिया गया था। कार्रवाई जारी है…एक बात तय है कि अब शोक का नहीं, प्रहार का समय है।