कोलकाता : भारतीय भाषा परिषद को ओर से ‘पत्रकारिता का स्वराज’ विषय पर एक राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने कहा कि आज अघोषित पाबंदियों ने पत्रकारिता के स्वराज को छीन लिया है। ऐसे में स्वराज को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर सिटीजन जनर्लिज्म मुखर हुआ है। नयी दुनिया के पूर्व संपादक श्रवण गर्ग ने कहा कि पत्रकारिता का स्वराज निडरता और विवेकपरकता से ही बच सकता है। हमें पत्रकारिता के स्वराज को नागरिकता के स्वराज से जोड़ने की जरूरत है। पत्रकार-लेखक अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता के स्वराज का अर्थ सत्य के प्रकटीकरण और अनुसंधान से जुड़ा है। हमें भय और लोभ से बचकर स्वराज को बचाना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय भाषा परिषद के निदेशक शंभुनाथ ने कहा कि आज समाचार पत्रों में संपादक की जगह प्रबंधक ने ले लिया है। ऐसे में पत्रकारिता के स्वराज का प्रश्न हाशिये पर चला गया है। पत्रकारों को निडरता के साथ पत्रकारिता के स्वराज को बचाने की जरूरत है। संस्था की अध्यक्ष प्रख्यात लेखिका कुसुम खेमानी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पत्रकारिता का लक्ष्य बहुत व्यापक है। हर दौर में पत्रकारिता के स्वराज पर आक्रमण हुआ परंतु कुछ समर्पित पत्रकारों ने घुटने टेकने के बजाय एक सशक्त प्रतिरोध खड़ा किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि सत्ता का निरंकुश और फासीवादी चेहरा पत्रकारिता के स्वराज का सबसे बड़ा शत्रु है। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से भारी संख्या में साहित्य और संस्कृति प्रेमी वेब संगोष्ठी में उपस्थित थे।धन्यवाद ज्ञापन संस्था के मंत्री केयूर मजमूदार ने दिया। तकनीकी संचालन सौमित्र आनंद और मधु सिंह ने किया।