नेहरू के बाद मोदी ने बनाया रिकॉर्ड, लौटा गठबंधन का दौर

तीसरी बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ

लगातार तीसरी बार केंद्र में राजग यानी एनडीए की सरकार बन चुकी है। 2024 का चुनाव कई मायनों में अलग रहा। सीटें घटीं मगर राजग अपने सहयोगी दलों के साथ सबसे बड़ा गठबंधन बनकर सामने आया और सरकार बन भी गयी मगर जिस तरह से सीटें घटीं और जिन राज्यों में घटीं, उसे देखते हुए भाजपा को आत्ममंथन करने की जरूरत है। विपक्षी इंडिया गठबंधन सरकार नहीं बना पाया मगर कांग्रेस की सीटें दोगुनी हो गयीं। उत्तर प्रदेश में भाजपा को गहरा झटका लगा है। चुनाव परिणामों ने साफ संदेश दिया है कि इस बार विपक्ष मज़बूत भूमिका में होगा। इस मज़बूती का असर यह होगा कि सदन के बाहर और सदन के भीतर दोनों ही जगहों पर विपक्ष ज्यादा आक्रामक होगा। 10 बरसों में पहली बार नेता प्रतिपक्ष को सदन में जगह मिलेगी। नेता प्रतिपक्ष का कैबिनेट मंत्री का दर्जा और प्रोटोकॉल होता है। सभी बड़े फैसलों में उसकी भूमिका होगी। वहीं, विपक्ष के सदस्यों की संख्या ज्यादा है तो ऐसे में किसी गलत फैसले पर विपक्ष और मुखर होकर बोल पाएगा। चुनाव ने कांग्रेस समाजवादी पार्टी को संजीवनी दी है मगर यह याद रखने की जरूरत है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के समीकरण अलग – अलग होते हैं। तृणमूल को बंगाल में जीतने के लिए बहुत पापड़  बेलने पड़े मगर आखिरकार वह जीती। यह बात अलग है कि भाजपा की हार के बावजूद उसकी बढ़त ने ममता बनर्जी की नींद हराम कर दी है और इसका एक बड़ा कारण यह है कि बंगाल में 2026 में ही चुनाव हैं।  बहरहाल 9 जून को नरेन्द्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में रविवार को आयोजित समारोह में उनको पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसी के साथ मोदी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनने के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। पंडित नेहरू वर्ष 1952, 1957 एवं 1962 का आम चुनाव जीतकर लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने थे। वहीं मोदी वर्ष 2014 एवं 2019 का आम चुनाव जीतकर क्रमशः पहली एवं दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। अब उन्होंने तीसरी बार शपथ ली है। प्रधानमंत्री मोदी की नई टीम में 30 कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 36 राज्य मंत्री शामिल हैं। मंत्रिमंडल में भारत के 24 राज्यों के साथ-साथ सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व है। सभी सामाजिक समूहों का नेतृत्व – 27 ओबीसी, 10 एससी, 5 एसटी, 5 अल्पसंख्यक – जिसमें मंत्रालयों का नेतृत्व करने वाले रिकॉर्ड 18 वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हैं। 11 एनडीए सहयोगी दलों से मंत्री भी शामिल हैं। 43 मंत्री संसद में 3 या उससे अधिक कार्यकाल तक सेवा दे चुके हैं, 39 पहले भी भारत सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कई पूर्व मुख्यमंत्री, 34 राज्य विधानसभाओं में सेवा दे चुके हैं, 23 राज्यों में मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद राजनाथ सिंह, अमित शाह से लेकर जयशंकर और निर्मला सीतारमण ने भी एक बार फिर मंत्री पद की शपथ ली। इसके अलावा जेडीएस के कुमारस्वामी, हम के जीतनराम मांझी ने भी शपथ ली। मध्य प्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री और विदिशा से नवनिर्वाचित सांसद शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हैं। उन्होंने केन्द्र में कैबिनेट मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। विदिशा सीट से सांसद चुने गए शिवराज सिंह चौहान पहली बार केंद्रीय मंत्री बने हैं। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में वे विदिशा से छठी बार सांसद चुने गए हैं। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में भाजपा के सबसे कद्दावर नेता हैं। वह मध्य प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला है। वह चार बार मप्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनका कार्यकाल करीब 16.5 वर्ष का रहा। गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने  अरुणाचल प्रदेश से किरेन रिजिजू ने, गजेंद्र सिंह शेखावत ने और कोडरमा से जीतीं अन्नपूर्णा देवी ने मंत्री पद की शपथ ली। राज्यसभा सांसद अश्विनी वैष्णव, बेगूसराय से जीते गिरिराज सिंह, ओडिशा के जुएल ओरांव ने, असम के डिब्रूगढ़ से जीते सर्बानंद सोनोवाल समेत कई अन्य मंत्रियों ने शपथ ली।  शपथ ग्रहण समारोह में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’, बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोब्गे, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविन्द जगन्नाथ भी मौजूद रहे। इसके अलावा कार्यक्रम में देशभर के नेता, मुख्यमंत्री, विपक्षी नेता, सांसद, फिल्मी हस्तियां, उद्योगपति, साधु-संत और आमजन मौजूद रहे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, गठबंधन के सहयोगी दलों के नेता, उद्योगपति मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, फिल्म अभिनेता रजनीकांत, शाहरूख खान, अक्षय कुमार, अभिनेत्री रविना टंडन जैसी जानीमानी हस्तियां मौजूद रही। उल्लेखनीय है कि मोदी शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के संसदीय दल के नेता चुने गए थे। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा-नीत राजग ने 295 सीटें जीती हैं। इसमें भाजपा 240, तेदेपा 16, जदयू 12, शिवसेना (शिंदे गुट) 07, लोजपा (राम विलास) 05, जनसेना पार्टी 02, रालोद- 02,, राकांपा (अजित पवार) 01, अपना दल (एस) 01 और हम (सेकुलर) की 01 सीट शामिल है।

पश्चिम बंगाल में – तृणमूल ने बंगाल में फिर बाजी मारी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) पार्टी यानी टीएमसी को आज बंगाल में उल्लखेनीय सफलता मिली है औऱ ममता की आंधी में विपक्ष जैसे कांपती रही। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री ने बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं किया। प्रधानमंत्री अपनी साख खो चुके हैं, उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि उन्होंने कहा था कि इस बार 400 पार। मैने आपसे कहा था कि 200 पार भी होगा या नहीं पता नहीं। मुख्यमंत्री ममता ने कहा है सीबीआई और ईडी के बावजूद भी नरेंद्र मोदी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) पार्टी यानी टीएमसी को आज बंगाल में उल्लखेनीय सफलता मिली है तो यहां भाजपा को लोकसभा में नुकसान हुआ है।

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नरेंद्र मोदी और भाजपा ने ‘टीम 72’ से क्या-क्या साधा, समझिए

नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में 30 कैबिनेट मंत्री,पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री और 36 राज्य मंत्रियों की पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई।  नारायण राणे, परषोत्तम रूपाला और अनुराग ठाकुर को जीत के बावजूद मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। इन लोगों को भाजपा संगठन में जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है। मोदी की पिछली सरकार से 17 मंत्री चुनाव हार गए हैं। इनमें कैबिनेट मंत्री स्तर की स्मृति ईरानी, ​​आरके सिंह, अर्जुन मुंडा और महेंद्र पांडे के नाम शामिल हैं। भाजपा उत्तर प्रदेश से आए चुनाव नतीजों से सबसे ज्यादा परेशान है. उसे उत्तर प्रदेश में 29 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा वाराणसी सीट जहां पीएम नरेंद्र मोदी उम्मीदवार थे, वहां वे डेढ लाख के अंतर से ही चुनाव जीत पाए हैं।भाजपा इसने  की परेशानी बढ़ा दी है.वहां 2026-2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसका असर कैबिनेट में भी दिखाई दिया। मोदी कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से 10 मंत्रियों को शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश से एनडीए का हर तीसरा सासंद मंत्री बना है. इससे पहले 2019 में  को भाजपा 80 में से 62 सीटें मिली थीं, तो यूपी से 12 लोगों को मंत्री बनाया गया था।

भाजपा का मिशन दक्षिण: भाजपा दक्षिण भारत में पैर जमाने की लगातार कोशिशें कर रही हैं. लेकिन उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है। इस बार के चुनाव नतीजे भाजपा के लिए उत्साहवर्धक है। वामपंथ के गढ़ केरल में  पहली बार भाजपा कोई सीट जीत पाई है। वहीं कर्नाटक में उसकी सीटें 25 से घटकर 17 रह गई हैं, तो तेलंगाना में सीटों की संख्या चार से बढ़कर आठ हो गई हैं लेकिन दक्षिण के सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु में भाजपा को कोई सफलता नहीं मिली है। इसके बाद भी भाजपा ने कैबिनेट में दक्षिण भारत को भरपूर जगह दी है। केरल से दो, तमिलनाडु से दो, तेलंगाना से दो, आंध्र प्रदेश से एक और कर्नाटक से चार लोगों को जगह दी गई है।

भाजपा और उसे समर्थन दे रहे दलों से भी कोई मुसलमान उम्मीदवार लोकसभा चुनाव नहीं जीता है। इसके अलावा इन दलों का राज्य सभा में भी कोई मुसलमान सदस्य नहीं है। यह तब है जब लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुसलमान को मुद्दा चर्चा में रहा। नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार में भाजपा ने जातीय गणित का भी ध्यान रखा है। मंत्रिमंडल में सामान्य वर्ग के 28 सदस्य हैं.इनमें आठ ब्राह्मण और तीन राजपूत शामिल हैं. इनके अलावा भूमिहार, यादव, जाट, कुर्मी, मराठा, वोक्कालिगा समुदाय से दो-दो मंत्री बनाए गए हैं। सिख समुदाय के दो लोगों को मंत्री बनाया गया है। कर्नाटक के लिंगायत समुदाय के साथ-साथ निषाद, लोध और महादलित वर्ग के एक-एक व्यक्ति को मंत्री बनाया गया है।  बंगाल के प्रभावशाली मतुआ समाज को भी जगह दी गई है। इनके अलावा अहीर, गुर्जर, खटिक, बनिया वर्ग को भी एक-एक बर्थ दी गई है। सवर्ण वर्ग को  भाजपा वोटर माना जाता है.इसलिए उनको प्रमुखता से कैबिनेट में जगह दी गई है। वहीं चुनाव में लगे झटके के बाद बीजेपी ने बाकी वर्गों को भी जगह देने की कोशिश की है।

मोदी मंत्रिमंडल में महिलाएं – इस बार के चुनाव में 74 महिलाएं जीतकर संसद पहुंची हैं. ये महिलाएं भाजपा, तृणमूल और कांग्रेस समेत 14 दलों के टिकट पर मैदान में थीं। इनमें से 43 पहली बार चुनाव जीती हैं.सबसे अधिक 31 महिलाएं भाजपा के टिकट पर जीती हैं। इसके अलावा कांग्रेस की 13, तृणमूल की 11 और सपा की पांच महिला सांसद हैं। 18वीं लोकसभा में केवल 13.6 फीसदी महिला सांसद हैं।  यह महिला आरक्षण के लिए बने कानून से काफी कम हैं, हालांकि यह कानून अभी लागू नहीं हुआ है। नरेंद्र मोदी कैबिनेट में सात महिलाओं को मंत्री बनाया गया है. ये हैं निर्मला सीतारमण, अन्नपूर्णा देवी, रक्षा खड़से, सावित्री ठाकुर, अनुप्रिया पटेल, नीमूबेन बमभानिया और शोभा करंदलाजे। इनमें से अनुप्रिया पटेल को छोड़ सभी भाजपा की सदस्य है। भाजपा ने अपनी 31 महिला सांसदों में से छह को मंत्रिमंडल में जगह दी है. यह संख्या 20 फीसदी से भी कम है।

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