ये अखबार के पन्ने
ये अखबार के पन्ने भी बड़े अजीब होते हैं ,
आते हैं रोज बकायदा किसी अजनबी की तरह ,
और नजरों से होते हुए जेहन में बस जाते हैं ,
देश ,विदेश ,नगर ,गाँव ,कसबे की खबरों से भरे ,
ये अखबार के पन्ने भी बड़े अजीब होते हैं I
कभी रंगीन पन्नों पर तारीफों से लदा नेता ,
तो ,कभी आलोचना का पात्र वही नेता ,
हुक्मरानो को अंगुली पर नचाती कभी ,
तो ,खुद अंगुली पर नाचती कभी ,
ये अखबार के पन्ने भी बड़े अजीब होते हैं l
कभी पन्ने दर पन्ने भरे होते है
साक्षरता अभियानों से ,
रोजगार से भरे फरमानों से ,
अनाज से भरे गोदामों से ,
तो ,कभी इसके उलट ,
निरक्षरता ,बेरोजगारी एवं कुपोषित बच्चों की तस्वीरों सेl
ये अखबार के पन्ने भी बड़े अजीब होते हैं l
कभी दुर्गा ,काली ,लक्ष्मी के पंडालों में
कर जोड़े ,दया की भीख माँगते लोगों की लम्बी कतार
से भरे ये अखबार के रंगीन पन्ने ,
नौ कन्या देवी स्वरूपा के पाँव पखारते ,
पूजन करते लोग ,
तो कभी इसके उलट …
भ्रुण हत्या ,तो कभी ….
इन्हीं नौ मे से किसी के चिथडों की तस्वीरों से भरी ….
ये अखबार के पन्ने भी बड़े अजीब होते हैं ……
2
अहसास
सहेजा था जिसको मैने बडे़ यत्न से,
नाजों से पाला था,
उड़ने को बेचैन वह,
जैसे सारा आकाश उसी का है।
हाँ ,ये सारा आकाश उसी का है।
तू उड़ ,मेरी चिरई ये नील गगन तेरा ही है
अपने नन्हे पंख पसार
उड़ ,तू उड़,सामर्थ्य जहाँ तक तेरा है,
ख्वाबों को अपने पहचान दे,
जीवन को नया आयाम दे,
पर,देख तटस्थ रहना,
इस नील गगन में….
लार टपकाते……
बाज भी हैं
घूरते हैं ये
तलाशते है मौका
झपट्टा मारते हैं
कभी रात के अँधेरे में
तो, कभी दिन के उजाले में
कुछ जाने,कुछ अनजाने चेहरे,
कुछ शराफत का मुखौटा लगाए चेहरे,
कुछ जाल बिछाए दाना डाले,
कुछ सब्ज साज दिखाए।
तू फँसना ना इस दिवा स्वप्न में
लक्ष्य से भटकना ना
परों में नई उर्जा भरना
ये सारा आकाश तुम्हारा है…..
ये सारा आकाश तुम्हारा है।
Very nice ma’am aapki jitni bhi taarif karo wo kam hai.